नई दिल्ली : पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सैन्य शासक जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ का रविवार को निधन हो गया. परिवार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 79 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष मुशर्रफ एमाइलॉयडोसिस से पीड़ित थे. बता दें कि एमाइलॉयडोसिस एक दुर्लभ बीमारी है, यह तब होती है जब एक असामान्य प्रोटीन शरीर में जमा होने लगता है, जिसे अमाइलॉइड कहा जाता है. इसमें शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, मुशर्रफ ने 1999 में देश में मार्शल लॉ लगाने के बाद मुख्य कार्यकारी का पद संभाला और 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. पूर्व राष्ट्रपति का परिवार 1947 में नई दिल्ली से कराची चला गया था. वह 1964 में पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए. वह क्वेटा के आर्मी स्टाफ एंड कमांड कॉलेज से ग्रेजुएट थे. जियो न्यूज ने बताया कि सैन्य शासक ने 1965 और 1971 के युद्धों में भी हिस्सा लिया था.
उन्हें 1998 में जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया और सेना प्रमुख (सीओएएस) के रूप में पदभार संभाला. एक साल बाद 12 अक्टूबर, 1999 को जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ ने तख्तापलट कर सत्ता हथिया ली. देश की बागडोर संभालने के बाद मुशर्रफ पाकिस्तान के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राष्ट्रपति बने रहे. जियो न्यूज ने बताया कि 2002 में एक जनमत संग्रह के माध्यम से उन्हें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और 2008 तक इस पद पर बने रहे.
अपने कार्यकाल के दौरान, मुशर्रफ ने 9/11 की घटना के बाद पाकिस्तान को सीमावर्ती सहयोगी बनाने के अमेरिकी प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. बाद में 2004 में, उन्हें पाकिस्तान के संविधान में 17वें संशोधन के माध्यम से पांच साल के लिए राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. जियो न्यूज ने बताया कि 2007 में मुशर्रफ ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को हटाने के लिए असंवैधानिक तरीके अख्तियार किए जिसके बाद वकीलों ने आंदोलन शुरू कर दिए. इस आंदोलन को न्यायपालिका की बहाली के लिए जाना जाता है.