सियोल: जापानी और दक्षिण कोरियाई सेनाओं ने बुधवार को दावा किया कि उत्तर कोरिया ने अपने पूर्वी समुद्र में दो बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं. यह हमला दक्षिण कोरियाई बंदरगाह पर अमेरिका की परमाणु-सशस्त्र बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी के पहुंचने के कुछ ही घंटों बाद किया गया. बता दें कि चार दशकों में पहली बार कोई अमेरिकी पनडुब्बी दक्षिण कोरियाई बंदरगाह पर पहुंची है. जापानी रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बुधवार सुबह लॉन्च की गई दोनों मिसाइलें जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र के बाहर गिरीं.
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने उत्तर कोरिया से ऐसे प्रक्षेपण बंद करने का आह्वान किया. जेसीएस ने एक बयान में कहा कि हम उत्तर कोरिया के लगातार बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपणों की कड़ी निंदा करते हैं. यह गंभीर उत्तेजक कृत्य हैं, जो कोरियाई प्रायद्वीप के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की शांति और स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने याद दिलाया कि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का स्पष्ट उल्लंघन हैं.
जापानी रक्षा मंत्री यासुकाज़ु हमादा ने संवाददाताओं को बताया कि पहली मिसाइल 50 किमी (31 मील) की ऊंचाई तक पहुंची और 550 किमी (341 मील) की दूरी तय की. दूसरी मिसाइल 50 किमी की ऊंचाई तक पहुंची और 600 किमी (372 मील) तक उड़ान भरी. उन्होंने कहा कि जापान ने राजनयिक चैनलों के माध्यम से मिसाइल प्रक्षेपण के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है.
यह प्रक्षेपण उत्तर कोरिया की अपनी बैलिस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-18 के परीक्षण के लगभग एक सप्ताह बाद हुआ है. जिसके परीक्षण के बाद प्योंगयांग ने सख्त प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने अमेरिका और अन्य विरोधियों को चेतावनी भी दी थी. दक्षिण कोरिया की योनहाप समाचार एजेंसी ने बताया कि बुधवार को मिसाइल प्रक्षेपण सियोल और वाशिंगटन की परमाणु सलाहकार समूह (एनसीजी) की पहली बैठक के बाद हुआ.
योनहाप की रिपोर्ट के अनुसार, एक बैठक बुसान में एक नौसैनिक अड्डे पर यूएसएस केंटुकी के आगमन के साथ भी हुई. अमेरिकी सेना ने कहा कि उसे बुधवार सुबह मिसाइल प्रक्षेपण की जानकारी है. वह अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ करीब से सलाह-मशविरा कर रही है.