काठमांडू :नेपाल के उपप्रधानमंत्री और गृह मामलों के मंत्री रबी लामिछाने नागरिकता की लड़ाई हार गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रबी लामिछाने को उनके पद से भी बर्खास्त कर दिया है (Nepal SC sacks DPM). रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने रबी लामिछाने को नागरिकता और पासपोर्ट मामले में दोषी पाया है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश हरि कृष्ण कार्की और जस्टिस बिशोवंभर प्रसाद श्रेष्ठ, ईश्वर खातीवाड़ा, आनंद मोहन भट्टराई और अनिल सिन्हा की अध्यक्षता वाली एक संवैधानिक पीठ ने माना कि संसदीय चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने जो नागरिकता प्रमाणपत्र पेश किया था, वह अमान्य था. रिपोर्ट के अनुसार, लामिछाने ने पिछले जून में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी का गठन करके राजनीति में प्रवेश किया था. उनकी पार्टी ने हाल के चुनावों में 14 सीटें जीतीं.
ये है मामला :14 दिसंबर को, अधिवक्ताओं युबराज पौडेल और रबिराज बसौला ने सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की जिसमें तर्क दिया गया कि लामिछाने संसद के सदस्य नहीं बन सकते क्योंकि उनके पास नेपाली नागरिकता नहीं है.
याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि लामिछाने को पार्टी प्रमुख के पद से हटा दिया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि केवल नेपाली नागरिकों को चुनाव में मतदान करने, उम्मीदवार बनने और देश में राजनीतिक दलों की स्थापना करने का संवैधानिक अधिकार है. इसके अलावा यह भी तर्क दिया था कि लामिछाने के निचले सदन के सदस्य और पार्टी अध्यक्ष के रूप में पद अवैध थे.
रिट याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की थी कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम अदालत के फैसले तक लामिछाने को एक विधायक के रूप में काम करने से रोकने के लिए एक अंतरिम आदेश जारी करे. 6 जनवरी को मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसले के माध्यम से इस मुद्दे को तय करने का विकल्प देते हुए एक अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया था.
नागरिकता अधिनियम की धारा 10 कहती है कि कोई भी नेपाली नागरिक जो स्वेच्छा से किसी विदेशी देश की नागरिकता प्राप्त करता है, वह स्वत: ही नेपाली नागरिकता खो देगा. पेशे से मीडियाकर्मी लामिछाने अमेरिकी नागरिक बनने के कुछ महीने बाद नेपाल लौटे और यहां काम करने लगे. चार साल बाद नेपाल की प्रेस परिषद में यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई गई कि वह बिना वर्क परमिट के नेपाल में काम कर रहे हैं.