सैन फ्रांसिस्को : अमेरिकी सीमा के पास मैक्सिको के श्यूडाड जुआरेज में एक केंद्र में आग लगने से 39 प्रवासियों की मौत की घटना के पीछे कई कारक हो सकते हैं. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एसोसिएट वाइस चांसलर फॉर एकेडेमिक डाइवर्सिटी और विधि प्रोफेसर रकील अल्दाना के मुताबिक घटना का तात्कालिक कारण यह प्रतीत होता है कि केंद्र में मौजूद कुछ हताश व्यक्तियों ने अपने निर्वासन के विरोध में वहां रखे गद्दों में आग लगा दी. इस घटना को लेकर सुरक्षा कर्मियों की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं, जो एक वीडियो में घटनास्थल से जाते हुए नजर आ रहे हैं.
रकील अल्दाना के मुताबिक आव्रजन नीति पर एक विशेषज्ञ के तौर पर, 'मेरा मानना है कि त्रासदी का एक और पहलू है, जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है और वो है अमेरिका और मैक्सिको की सरकारों की दशकों पुरानी आव्रजन प्रवर्तन नीतियां. इन नीतियों की वजह से निरोध केंद्रों पर रखे जाने वाले लोगों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है.'
उनके मुताबिक आग लगने की घटना के बाद, प्रवासियों के मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फेलिप गोंजालेज मोरालेस ने ट्विटर पर कहा था कि आव्रजन निरोध केंद्रों का अत्याधिक इस्तेमाल इस तरह की त्रासदियों का कारण है. सीमा के दोनों ओर इस तरह के केंद्रों का अत्याधिक इस्तेमाल करने में अमेरिका की बड़ी भूमिका है.
लंबे समय तक कैद रखा जाना और निर्वासन का डर :रकील अल्दाना के मुताबिक आज मैक्सिको के पास बहुत बड़ा निरोध तंत्र है. इसमें कई दर्जन लघु और दीर्घकालिक निरोध केंद्र शामिल हैं, जिनमें वर्ष 2021 में तीन लाख से ज्यादा लोग बंद थे. लेकिन, अमेरिका का आव्रजन निरोध तंत्र दुनिया में सबसे बड़ा है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों तरह के केंद्र शामिल हैं. इसके अलावा, जेलों समेत अन्य तरह के निरोध केंद्र भी बड़े पैमाने पर अमेरिका के पास मौजूद हैं.
मैक्सिको में कानून है कि निरोध केंद्र में प्रवासियों को थोड़े वक्त के लिए रखा जाएगा और उन्हें वकील तथा दुभाषीय तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी. कानून कहता है कि केंद्रों की हालत ठीक होनी चाहिए और वहां रखे गए प्रवासियों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच उपलब्ध होनी चाहिए.
लेकिन, हकीकत में प्रवासियों को निरोध केंद्रों में गंदगी का सामना करना पड़ता है. साथ ही वहां क्षमता से कहीं अधिक लोग रखे जाते हैं. यही नहीं, उन्हें शरण देने का मामला लंबे समय तक लटकाए रखा जाता है, जिससे उनमें निर्वासन को लेकर डर बना रहता है.
मैक्सिको के राष्ट्रपति एंड्रेस मैनुअल लोपेज ओब्रेडोर के मुताबिक, श्यूडाड जुआरेज में बंद ग्वाटेमाला, होंडुरास, वेनेजुएला, अल सल्वाडोर, कोलंबिया और इक्वाडोर के पुरुषों को जब पता चला कि उन्हें उनके देशों में भेज दिया जाएगा, तो केंद्र में आग लगने की शुरुआत हुई। निर्वासन अमेरिका में शरण पाने की उनकी उम्मीदों को खत्म कर देता.