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दुनिया में पहली बार लैब में तैयार किया गया खून, लाएगा क्रांतिकारी बदलाव - पहली बार लैब में तैयार किया गया खून

कैंब्रिज विश्वविद्यालय और एनएचएस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट के प्रोफेसर व मुख्य अन्वेषक सेड्रिक घेवार्ट ने कहा कि आशा है कि हमारी प्रयोगशाला में विकसित लाल रक्त कोशिकाएं रक्त दाताओं से आने वाली कोशिकाओं की तुलना में अधिक समय तक रहेंगी.

दुनिया में पहली बार लैब में तैयार खून लोगों को चढ़ाया गया
दुनिया में पहली बार लैब में तैयार खून लोगों को चढ़ाया गया

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Published : Nov 8, 2022, 7:22 AM IST

Updated : Nov 8, 2022, 7:39 AM IST

लंदन: ब्रिटेन में दुनिया के पहले क्लिनिकल ट्रायल में विज्ञानियों द्वारा लोगों को लैब में तैयार खून दिया गया. शोधकर्ताओं ने कहा कि यदि यह सुरक्षित और प्रभावी साबित होता है, तो निर्मित रक्त कोशिकाएं दुर्लभ रक्त विकार वाले लोगों के लिए समय पर उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती हैं. विज्ञानियों ने कहा कि सिकल सेल जैसे विकार और दुर्लभ रक्त प्रकार वाले कुछ लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में दान किया गया रक्त मिलना मुश्किल होता है. ऐसे लोगों के लिए यह वरदान साबित हो सकता है.

कैंब्रिज विश्वविद्यालय और एनएचएस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट के प्रोफेसर व मुख्य अन्वेषक सेड्रिक घेवार्ट ने कहा कि आशा है कि हमारी प्रयोगशाला में विकसित लाल रक्त कोशिकाएं रक्त दाताओं से आने वाली कोशिकाओं की तुलना में अधिक समय तक रहेंगी.

यह इस तरह काम करता है

  • सामान्य रक्तदान से प्राप्त रक्त के साथ यह प्रयोग शुरू होता है (लगभग 470 मिली)
  • चुंबकीय बिड्स का उपयोग करके लचीली स्टेम कोशिकाओं को बाहर निकालने के लिए किया जाता है जो लाल रक्त कोशिका बनने में सक्षम होती हैं
  • इन स्टेम कोशिकाओं को प्रयोगशालाओं में बड़ी संख्या में बढ़या जाता है
  • और फिर लाल रक्त कोशिकाएं बनने के लिए निर्देशित किया जाता है
  • इस प्रक्रिया में लगभग तीन सप्ताह लगते हैं और लगभग आधा मिलियन स्टेम कोशिकाओं के प्रारंभिक पूल के परिणामस्वरूप 50 अरब लाल रक्त कोशिकाएं बनती हैं.
  • इन्हें लगभग 15 अरब लाल रक्त कोशिकाओं को प्राप्त करने के लिए फ़िल्टर किया जाता है
  • जिसका प्रत्यारोपण मरीज के शरीर में किया जा सकता है

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रक्तदाताओं के स्टेम सेल से किया गया विकसित: ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने कहा कि रक्त कोशिकाओं को दाताओं के स्टेम सेल से विकसित किया गया था. इसे स्वस्थ स्वयंसेवकों में स्थानांतरित किया गया. दो लोगों को अब तक लैब में तैयार लाल रक्त कोशिकाएं दी गई हैं. इनकी निगरानी की जा रही है, उनमें अब तक कोई अवांछित विकार नहीं देखने को मिला है. इस ट्रायल में एक ही रक्तदाता से लाल रक्त कोशिकाओं के संक्रमण की तुलना में प्रयोगशाला में विकसित कोशिकाओं के जीवनकाल का अध्ययन किया जा रहा है.

नियमित रक्त चढ़वाने वालों को होगी कम रक्ताधान की जरूरत: विज्ञानियों ने कहा कि अगर हमारा यह परीक्षण सफल होता है, तो इसका मतलब यह होगा कि जिन रोगियों को वर्तमान में नियमित रूप से लंबे समय तक रक्त चढ़ाने की जरूरत होती है उन्हें भविष्य में कम रक्ताधान की आवश्यकता होगी. इससे उनकी बेहतर देखभाल की जा सकेगी.

(पीटीआई)

Last Updated : Nov 8, 2022, 7:39 AM IST

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