जकार्ता (इंडोनेशिया) :इंडोनेशिया का माउंट मेरापी ज्वालामुखी शनिवार को फटा. जानकारी के मुताबिक यह दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इस ज्वालामुखी के फटने के बाद ज्वालामुखी के आसपास गांवों में धुआं और राख फैल गया. अल जजीरा स्थानीय आउटलेट कोम्पस टीवी पर प्रसारित खबरों के हवाले से लिखा कि इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी योग्याकार्ता के पास जावा द्वीप पर स्थित ज्वालामुखी के पास एक गांव में राख से ढके घर और सड़कें नजर आ रही हैं.
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मेरापी ज्वालामुखी वेधशाला ने अनुमान लगाया कि विस्फोट से निकले राख का बादल ज्वालामुखी के शिखर से 9,600 फीट (3,000 मीटर) ऊपर तक पहुंच गया. खबरों के मुताबिक, मेरापी जावा का एक घनी आबादी वाला द्वीप है. जिसके ऊपर गर्म राख के बादल और जमीन पर लावा को फैलते हुए देखा गया है. लावा ज्वालामुखी के केंद्र से 7 किलोमीटर (4.3 मील) दूर तक फैल गया. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी ने कहा कि स्थानीय समय के अनुसार दोपहर 12:12 बजे विस्फोट के बाद क्रेटर से सात किलोमीटर तक का इलाका प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया गया.
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एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहरी ने एक बयान में कहा कि माउंट मेरापी विस्फोट से संभावित खतरे का अनुमान लगाते हुए जनता को क्षेत्र में किसी भी गतिविधि को रोकने की सलाह दी जाती है. देश की आपदा राहत एजेंसी ने कहा कि हताहतों की तत्काल कोई रिपोर्ट नहीं थी. मुहारी ने कहा कि प्रतिबंधित क्षेत्र से बाहर आसपास के निवासियों को भी राख से सतर्क रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों को लावा के आसपास जाने से ज्वालामुखी कीचड़ के प्रवाह से संभावित खतरों से सावधान रहना चाहिए. खासकर यदि ज्वालामुखी के पास बारिश होने लगे.
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मेरापी के एक अधिकारी ने एक बयान में कहा कि ज्वालामुखी के पास कम से कम आठ गांव ज्वालामुखी की राख से प्रभावित हुए हैं. यहां अंतिम बड़ा विस्फोट 2010 में हुआ था जिसमें 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. अल जजीरा ने बताया कि इसमें लगभग 280,000 निवासियों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा. 1930 में 1,300 से अधिक लोग मारे गए थे. इसके अलावा इसके करीब 60 साल बाद 1994 में एक और ज्वालमुखी विस्फोट हुआ था जिसमें लगभग 60 लोग मारे गए थे. इंडोनेशिया में लगभग 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं. इसे 'रिंग ऑफ फायर' पर स्थित देश भी कहा जाता है.
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(एएनआई)