वाशिंगटन: अमेरिका के एक मुस्लिम संगठन 'इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल' (आईएएमसी) ने डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद इल्हान उमर की प्रतिनिधि सभा में एक ऐसा प्रस्ताव पेश करने के लिए सराहना की है, जिसमें कथित तौर पर अल्पसंख्यकों खासतौर पर मुसलमानों के मानवाधिकारों के हनन के लिए भारत की आलोचना की गई है.
अमेरिकी सांसद रशीदा तालिब और जुआन वर्गास द्वारा सह-प्रायोजित, प्रस्ताव में विदेश मंत्रालय से अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की सिफारिशों को लागू करने का आग्रह किया गया है, और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत को विशेष चिंता वाला देश (सीपीसी) घोषित करने की मांग की गई है.
विदेश मंत्रालय यूएससीआईआरएफ की अनुशंसाओं को मानने के लिए बाध्य नहीं है और पिछले कई वर्षों में कई प्रशासनों ने इसकी अनुशंसाओं को कोई खास तवज्जो नहीं दी है. आईएएमसी ने एक बयान जारी करके उमर और दो अन्य सांसदों की इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए सराहना की है.
संगठन के अध्यक्ष सैयद अफजल अली ने कहा, 'यह देखना दुखद है कि जिस देश से हम प्यार करते है वह अपने सबसे कमजोर नागरिकों के साथ भेदभाव कर रहा है और कट्टरता, असहिष्णुता के मार्ग पर चल रहा है.' हालांकि, इस तरह के प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद न के बराबर है, खासतौर पर सांसद उमर के प्रतिशोधी रुख को देखते हुए.
उन्होंने कई मौकों पर भारत के मुद्दे पर पाकिस्तानी अधिकारियों का खुलकर साथ दिया है. भारत से जुड़ी कांग्रेस की कई सुनवाइयों में भी उमर ने लगातार भारत विरोधी रुख दिखाया है. उमर का प्रस्ताव भारत में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की निंदा करता है, जिसमें मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों, आदिवासियों और अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों को ‘लक्षित’ करना शामिल है.