वाशिंगटन : अमेरिका की एक शीर्ष राजनयिक ने कहा है कि भारत ने अपनी खाद्यान्न सुरक्षा की जरूरतों के लिए अमेरिका से मदद प्राप्त करने से लेकर अब एक निर्यातक देश बनने तक लंबा सफर तय किया है और वह अपनी उल्लेखनीय विकास प्रगति को सीमाओं से परे देशों तक पहुंचा रहा है.
फिजी में बुधवार को आयोजित अमेरिका हिंद-प्रशांत रक्षा कमान प्रमुखों (सीएचओडी) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी (यूएसएड) की प्रशासक सामंथा पावर ने कहा कि एक देश में निवेश से अक्सर अन्य देशों को लाभ मिलता है. उन्होंने अन्य देशों की मदद करने के भारत के प्रयासों की सराहना की.
उन्होंने कहा, 'अगर हम एक देश में निवेश करते हैं तो उससे अक्सर दूसरे देशों को भी फायदा होता है. खाद्यान्न सुरक्षा को ही लें. भारत में 1960 के दशक की शुरुआत में हमने उच्च उपज वाले, टिकाऊ बीज विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों और स्थानीय किसानों के साथ मिलकर काम किया.
पावर ने कहा, 'अगले दो दशकों में इन बीजों से भारत में धान उत्पादन में 50 प्रतिशत की वृद्धि में मदद मिली और गेहूं का उत्पादन 230 प्रतिशत बढ़ा. इससे बार-बार आने वाले अकाल के चक्र को समाप्त करने और हरित क्रांति को शुरू करने में मदद मिली जिससे दुनिया के अन्य हिस्सों में कृषि उपज को बढ़ावा मिला.'
उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी खाद्यान्न जरूरतों के लिए अमेरिका से मदद प्राप्त करने से लेकर अब अन्य देशों को अनाज निर्यात करने तक लंबा सफर तय किया है.
पावर ने कहा, 'अब भारत अपने विकास की प्रगति को सीमाओं से परे अन्य देशों तक पहुंचाने के प्रयासों में विस्तार कर रहा है.'
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और 2022 में चावल के वैश्विक कारोबार का करीब 40 प्रतिशत भारत से था जिसने 140 देशों को 9.66 अरब डॉलर मूल्य के 2.2 करोड़ टन चावल का निर्यात किया.