संयुक्त राष्ट्र : सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को अगले सत्र तक के लिए खिसकाने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के फैसले के बीच, भारत ने इसे 'जाया किया गया एक और मौका करार दिया है.'
उसने कहा है कि सुरक्षा परिषद में सुधार की प्रक्रिया बिना किसी वास्तविक प्रगति के 75 साल और खिंच सकती है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को उस मौखिक मसौदा प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें सुरक्षा परिषद में सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता को सितंबर में शुरू होने वाले (महासभा के) 78वें सत्र में जारी रखने का प्रावधान है. इस फैसले के साथ ही मौजूदा 77वें सत्र में इस अंतर-सरकारी वार्ता का अंत हो गया.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज (Ruchira Kamboj) ने इस बात पर जोर दिया कि अंतर-सरकारी वार्ता को आगे खिसकाने का फैसला महज एक विचारहीन तकनीकी अभ्यास तक सीमित नहीं रह जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'हम वार्ता को तकनीकी आधार पर टालने के फैसले को उस प्रक्रिया में जान फूंकने की एक और जाया कोशिश के तौर पर देख रहे हैं, जिसमें पिछले चार दशक में जीवंतता या प्रगति के कोई संकेत नहीं मिले हैं.'
कंबोज ने स्पष्ट किया कि भारत सिर्फ संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी के निजी प्रयासों को मान्यता देने के लिए मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार करने की आम सहमति का हिस्सा बना.
उन्होंने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि अंतर-सरकारी वार्ता संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के मौजूदा ढांचे और तौर-तरीकों में बिना किसी वास्तविक सुधार के, अगले 75 साल के लिए और खिंच सकती है.