इस्लामाबाद: नेशनल असेंबली को, चुनाव संबंधी वार्ता के सफल नतीजे के लिए 14 मई तक भंग करने की इमरान खान की मांग को अव्यावहारिक करार देते हुए पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन ने पूर्व प्रधानमंत्री को आगाह किया है कि अगर वार्ता विफल रही तो उनकी पार्टी को भारी नुकसान होगा क्योंकि चुनाव में एक साल का विलंब हो सकता है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाले संघीय गठबंधन और इमरान खान की पार्टी पीटीआई के बीच मंगलवार को होने वाली तीसरे दौर की बातचीत से पहले सरकार ने खान से कहा कि वह बंदूक के दम पर बातचीत नहीं कर सकते.
डॉन अखबार की खबर में पीएमएल-एन के महासचिव और संघीय विकास मंत्री अहसान इकबाल के हवाले से कहा गया है 'हम इमरान खान को बताना चाहते हैं कि वह बंदूक के दम पर बातचीत नहीं कर सकते. बातचीत की पहली शर्त ही यही है, कोई पूर्व शर्त नहीं हो. खान इतने हताश है कि वह हर हाल में पसंदीदा समाधान चाहते हैं.' खबर में सोमवार को कहा गया कि संघीय गठबंधन ने खान के अल्टीमेटम को 'अव्यवहारिक' बताते हुए उनसे सरकार और विपक्ष के बीच इस वार्ता की सफलता के लिए और अधिक लचीला रुख अपनाने को कहा है.
इकबाल ने रविवार को कहा, 'अगर वार्ता विफल होती है, तो सबसे ज्यादा नुकसान पीटीआई को होगा, क्योंकि संविधान के तहत चुनाव को एक साल के लिए टालने का प्रावधान है. इमरान खान ने (इस साल जुलाई में चुनाव न होने की स्थिति में) देश में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होने की चेतावनी दी है और ऐसे परिदृश्य में, चुनाव एक और साल के लिए टल जाएंगे.' उन्होंने कहा कि संघीय गठबंधन के दल 'खुली सोच' के साथ पीटीआई के साथ बैठे, लेकिन खान 14 मई तक विधानसभाओं (नेशनल, सिंध और बलूचिस्तान) को भंग करने के लिए कहते रहे जबकि यह मांग संघीय गठबंधन को स्वीकार्य नहीं है.
मंत्री ने कहा, 'सिंध और बलूचिस्तान के लोगों को इमरान खान की मूर्खता के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है, जिन्होंने पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं को, वहां अपने ही लोगों के संरक्षण में चुनाव कराने के लिए भंग कर दिया.' उन्होंने कहा कि खान की पाकिस्तान तहरीक- ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को उसी दिन चुनाव के अलावा चुनाव आचार संहिता पर भी सहमत होना होगा. यह पूछे जाने पर कि क्या बातचीत में कोई सफलता नहीं मिलने की स्थिति में उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर पंजाब में मई में चुनाव होंगे, मंत्री ने कहा, 'हम शीर्ष अदालत के इस फैसले के पीछे राजनीति स्पष्ट रूप से देखते हैं.'
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पूछा कि पीटीआई के साथ बातचीत का क्या परिणाम होगा क्योंकि वे शर्तें रख रहे हैं. पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) ने चुनाव पर पीटीआई के साथ बातचीत करने के लिए पीएमएल-एन पर जोर दिया. पीपीपी हालांकि, अभी भी आशावादी है. पीपीपी के वरिष्ठ नेता और प्रधानमंत्री के विशेष सहायक क़मर जमान कैरा ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि 14 मई तक विधानसभाओं को भंग करना एक प्रस्ताव है न कि खान द्वारा निर्धारित शर्त। यह सुझाव व्यवहार्य नहीं है. अगर नेशनल असेंबली मई में भंग हो जाती है तो बजट कौन पेश करेगा?'