लाहौर:पाकिस्तान में एक शीर्ष शैक्षणिक निकाय ने नकदी की कमी वाले देश में रोजगार को बढ़ावा देने और चाय के आयात पर खर्च को कम करने के लिए लस्सी और सत्तू जैसे स्थानीय पेय की खपत को बढ़ावा देने के एक नए विचार का प्रस्ताव दिया है. एक खबर के मुताबिक, उच्च शिक्षा आयोग की कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. शाइस्ता सोहेल ने सार्वजनिक क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भेजे एक परिपत्र में उन्हें 'नेतृत्व की भूमिका निभाने और निम्न-आय समूहों और अर्थव्यवस्था को राहत प्रदान करने के लिए अभिनव तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है.'
परिपत्र में, सोहेल ने 'स्थानीय चाय बागानों और लस्सी व सत्तू जैसे पारंपरिक पेय को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है, जिससे रोजगार बढ़ेगा और जनता के लिए इन पेय के निर्माण में शामिल आय भी उत्पन्न होगी. वहीं चाय के आयात पर होने वाला खर्च भी कम हो जाएगा.' स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, पाकिस्तान चालू खाता घाटे और घटते विदेशी मुद्रा भंडार से जूझ रहा है, जो 17 जून तक घटकर 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था.
इस महीने की शुरुआत में, पाकिस्तान के योजना, विकास और विशेष पहल मंत्री अहसान इकबाल ने नागरिकों से चाय की खपत में कटौती करने का आग्रह किया है ताकि देश के घटते विदेशी मुद्रा भंडार में सेंध लगाने वाले आयात भुगतान को कम करने में मदद मिल सके. 'द न्यूज इंटरनेशनल' अखबार के अनुसार, इकबाल की अपील यह सामने आने के बाद आई कि पाकिस्तान ने वित्त वर्ष 2021-22 में 40 करोड़ अमरीकी डॉलर की चाय का सेवन किया.