शर्म-अल-शेख:मिस्र में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी 27) में विश्व के नेताओं ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए कड़ी कार्रवाई की वकालत की है. अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में मांग उठी कि जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां इस धरती को पहुंचाए गए नुकसान के एवज में शुल्क अदा करें. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सोमवार को चेतावनी दी कि मानव जाति तेजी से जलवायु संबंधी संकट की ओर बढ़ रही है.
उन्होंने और बारबाडोस के प्रधानमंत्री मियां मोटले जैसे अन्य नेताओं ने कहा कि समय आ गया है कि जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करने वाली कंपनियां उस कोष में योगदान दें जिससे कमजोर देशों की जलवायु संबंधी नुकसान से निपटने के लिए वित्तीय सहायता देने में मदद की जा सकेगी.
पहली बार ऐसा हुआ है कि इस साल संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन में प्रतिनिधि विकासशील देशों की इन मांगों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं कि अमीर, सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले देश जलवायु परिवर्तन से उन्हें हुए नुकसान के एवज में मुआवजा दें. जलवायु वार्ता में इसे 'नुकसान और क्षतिपूर्ति' कहा जाता है. अमेरिका में मध्यावधि चुनाव का भी मंगलवार की वार्ता पर असर पड़ सकता है. अनेक पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में डेमोक्रेट्स की हार होने की स्थिति में राष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए उनके महत्वाकांक्षी जलवायु एजेंडा को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा.
अला आब्देल-फतह की रिहाई पर चर्चा
मिस्र के जेल में बंद प्रतिष्ठित लोकतंत्र समर्थक नेता अला आब्देल-फतह के भविष्य को लेकर भी सम्मेलन में चर्चा हुई. फतह ने लंबे समय से चल रही अपनी भूख हड़ताल तेज कर दी है और उनके परिवार ने दुनिया के नेताओं से उनकी रिहाई में मदद की गुहार लगाई है. अला आब्देल-फतह ने सम्मेलन के पहले दिन रविवार को अपने अनशन को आगे बढ़ाते हुए पानी पीना भी बंद कर दिया. परिवार के मुताबिक उन्होंने कहा कि अगर रिहा नहीं किया गया तो जान दे देंगे.
असंतोष को दबाने के मिस्र के लंबे इतिहास के कारण सीओपी27 नामक इस वार्षिक सम्मेलन की उसकी मेजबानी पर विवाद खड़ा हो गया है. अनेक अंतरराष्ट्रीय जलवायु कार्यकर्ताओं ने शिकायत की है कि मेजबान देश की पाबंदियां सामाजिक कार्यकर्ताओं को चुप कराने के लिए हैं. मंगलवार को सम्मेलन के मंच पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत दुनिया के अनेक नेता शिरकत कर सकते हैं.
सम्मेलन में भाषणों के बाद प्रतिनिधि विभिन्न विषयों पर मंथन करेंगे जिनमें पहली बार क्षतिपूर्ति पर चर्चा होगी. नाइजीरिया के पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अब्दुल्लाही ने धनवान देशों से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों की मदद के लिए सकारात्मक प्रतिबद्धता जताएं. गरीब देशों के नेताओं ने इस मुद्दे को न्यायपूर्ण बताया है. इनमें फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों भी शामिल हैं. तंजानियाई राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन ने कहा, 'दुनिया के हमारे हिस्से को जीवन और मौत में से किसी को चुनना होगा.'
अला आब्देल-फतह की सबसे छोटी बहन साना सैफ अपने भाई तथा जेल में बंद अन्य कार्यकर्ताओं का पक्ष रखने के लिए शर्म-अल-शेख में डेरा डाले हुए हैं. वह एक समारोह में एमनेस्टी इंटरनेशनल की महासचिव एग्निस कालामार्ड के साथ मिस्र के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर भाषण दे सकती हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि उन्होंने सोमवार को मिस्र के राष्ट्रपति आब्देल-फतह अल-सीसी के साथ बातचीत में अला आब्देल-फतह के विषय को उठाया था. (पीटीआई-भाषा)