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China on Deal between Iran and Saudi Arab : अमेरिका और रूस को छोड़िए, दुनिया का नया 'दादा' बना चीन ?

ईरान और सऊदी अरब के बीच फिर से राजनयिक रिश्तों की बहाली ने सबको चौंका दिया. लेकिन इसमें सबसे ज्यादा चर्चा इन दोनों देशों की नहीं हो रही है, बल्कि चीन की हो रही है. दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस डील में काफी अहम भूमिका निभाई है. उनके रोल से अमेरिका भी स्तब्ध है. अमेरिका को यकीन नहीं हो रहा है कि चीन ने ऐसा कर दिया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि पूरी दुनिया में चीन के बढ़ते रूतबे का यह सबसे बड़ा उदाहरण है.

XI XINPING
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

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Published : Mar 13, 2023, 7:55 PM IST

नई दिल्ली : जो भूमिका कभी अमेरिका और रूस निभाया करते थे, वही भूमिका आज चीन निभा रहा है. इससे पूरी दुनिया में खलबली मच गई है. चीन ने ईरान और सऊदी अरब के बीच राजनयिक रिश्तों को फिर से स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभाई है. यह भूमिका मध्य पूर्व में चीन की बढ़ती दखलंदाजी और उसके विस्तृत हो रहे आर्थिक प्रभुत्व का प्रतीक है.

राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन पश्चिम के प्रति 'गुस्से' का इजहार करने वाला देश बन गया है. वह ताइवान को धमकी देता है. वह साउथ चाइन सी में आक्रामक कदम उठा रहा है. आलोचनाओं से घिरने के बावजूद यूक्रेन के मुद्दे पर रूस की निंदा नहीं करता है.

पिछले सात सालों से ईरान और सऊदी अरब के बीच तनाव है. इसके बावजूद सऊदी अरब और ईरान एक दूसरे के यहां पर दूतावास को सक्रिय करने पर सहमत हो गए. पिछले महीने ही ईरान के राष्ट्रपति चीन आए थे. शी जिनपिंग के साथ उनकी विस्तृत बातचीत हुई थी. गत दिसंबर में शी सऊदी अरब की राजधानी रियाद गए थे. शी ने दोनों देशों से अलग-अलग बात कर दोनों के बीच जमी बर्फ को पिघला दिया. यह चीन की बहुत बड़ी जीत है. यह इस मायने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि पूरे मध्य पूर्व में यह संदेश जा रहा है कि अमेरिका यहां पर अपनी भूमिका को सीमित कर रहा है.

एपी एजेंसी ने इस मामले पर मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर मो. जुलफ्फिकार रखमत का एक बयान प्रकाशित किया है. इसके अनुसार उन्होंने कहा कि यह फैसला दर्शाता है कि चीन ने मध्य पूर्व में अपना दबदबा बना लिया है. चीन अपनी ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसले ले रहा है. मध्य पूर्व के देशों से सबसे अधिक ऊर्जा की खरीददारी भी चीन ही कर रहा है. दूसरी ओर अमेरिका मध्य पूर्व के देशों पर धीरे-धीरे कर अपनी निर्भरता कम कर रहा है. वह स्वतंत्र ऊर्जा नीति पर चल रहा है.

चीन के अधिकारी लंबे समय से मांग कर रहे थे कि उन्हें मध्य पूर्व के देशों में अपनी भूमिका बढ़ानी चाहिए. यह दावा मियामी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जून टेयूफल ड्रेयर ने किया है. उनके अनुसार अमेरिका और सऊदी के बीच वैसे भी दूरी बढ़ती जा रही है और चीन इस स्पेस को भरने के लिए आतुर बैठा है. अब तक मध्य पूर्व के इलाकों में नेवी के लिए अमेरिका सबसे बड़ा गारेंटर था. लेकिन अब चीन यहां पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है. सोमालिया तट पर एंटी पायरेसी ऑपरेशंस में चीन बड़ी भूमिका निभा रहा है.

शी जिनपिंग ने तीसरी बार ताजपोशी के दौरान कहा था कि चीन को ग्लोबल गवर्नेंस व्यवस्था में बढ़चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. मध्य पूर्व के बहुत सारे देश चीन को न्यूट्रल कंट्री के रूप में देख रहे हैं. ईरान अपने विदेशी ट्रेड के 30 फीसदी हिस्से के लिए पूरी तरह से चीन पर निर्भर है. दूसरी ओर चीन सऊदी अरब से सबसे अधिक तेल भी खरीद रहा है. चीन ने ईरान के साथ व्यापार को बढ़ाने के लिए अगले 25 सालों में बुनियादी ढांचा के विकास के लिए 400 बिलियन डॉलर निवेश करने का फैसला किया है. परमाणु प्रोग्राम को लेकर ईरान पर आर्थिक पाबंदी लगी हई है, लिहाजा, चीन बढ़चढ़ कर उसकी मदद कर रहा है. यह भी दिखा रहा है कि चीन अपनी स्वतंत्र सोच के साथ दुनिया में आगे बढ़ रहा है.

यह डील चीन की उस छवि को मजबूत करेगा कि चीन स्वतंत्र होकर अपना निर्णय ले रहा है और दूसरा यह कि वह पश्चिम के उन आरोपों से भी बच सकेगा कि वह शांति स्थापन के लिए कुछ नहीं कर रहा है. चीन मानता है कि वह ईरान की सहायता कर दुनिया में शांति स्थापित कर रहा है. उसने ईरान और सऊदी के बीच तनाव को ही खत्म कर दिया.

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