लंदन : ब्रिटेन के महाराजा चार्ल्स- III शनिवार को यहां एबे वेस्टमिंस्टर में होने वाले अपने ऐतिहासिक राज्याभिषेक के दौरान उस गद्दी पर बैठेंगे, जिसका इस्तेमाल 86 वर्ष पहले उनके नाना जॉर्ज-VI की ताजपोशी के समय किया गया था. शाही परंपरा के अनुसार, एबे में राज्याभिषेक के विभिन्न चरणों के दौरान पारंपरिक गद्दियों और सिंहासनों का उपयोग किया जाता है. राज्याभिषेक के दौरान महाराजा चार्ल्स और उनकी पत्नी महारानी कैमिला अलग-अलग क्षणों में 'सेंट एडवर्ड्स चेयर', 'चेयर्स ऑफ स्टेट' और 'थ्रोन चेयर्स' पर बैठेंगे. 'थ्रोन चेयर्स' का इस्तेमाल 12 मई, 1937 को किंग जॉर्ज- VI और महारानी एलिजाबेथ के राज्याभिषेक के लिए किया गया था.
बकिंघम पैलेस ने कहा, "शाही जोड़े ने पारंपरिक वस्तुओं के महत्व को बरकरार रखते हुए पिछले राज्याभिषेकों में इस्तेमाल हुईं 'चेयर्स ऑफ एस्टेट' और 'थ्रोन चेयर्स' को चुना है. इन्हें आवश्यकतानुसार संरक्षित, पुनर्स्थापित और अनुकूलित किया गया है." 'चेयर्स ऑफ द स्टेट' का निर्माण 1953 में किया गया था और उसी साल दो जून को महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के राज्याभिषेक के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था. 'सेंट एडवर्ड्स चेयर' का निर्माण 700 साल पहले किया गया था और महाराजा एडवर्ड - II के राज्याभिषेक के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया था. राज्याभिषेक के बाद चार्ल्स इसी गद्दी पर बैठेंगे.
ऋषि सुनक ने बहुधर्मी राज्याभिषेक को 'राष्ट्रीय गौरव का क्षण' बताया
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने महाराज चार्ल्स तृतीय के राज्याभिषेक के उत्सव में एक विशेष संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने एक हजार साल से अधिक पुराने धार्मिक समारोह में सभी धर्मों द्वारा निभाई जाने वाली केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डाला है. भारतीय मूल के नेता और 10 डाउनिंग स्ट्रीट के पहले हिंदू पदाधिकारी शनिवार को वेस्टमिंस्टर एब्बे में होने वाले समारोह में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. इस अवसर पर वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर हालिया परंपरा को ध्यान में रखते हुए कुलुस्सियों की बाइबिल पुस्तक से पढ़ेंगे. ब्रिटेन के झंडे को उच्च श्रेणी की 'रॉयल एयर फोर्स' (आरएएफ) के जवानों द्वारा एब्बे में ले जाने के दौरान सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी ध्वजवाहकों के एक जुलूस की अगुवाई करेंगे. अक्षता मूर्ति, इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं.
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सुनक ने ऐतिहासिक घटना की पूर्व संध्या पर एक बयान में कहा, "एब्बे में जहां लगभग एक हजार वर्षों से राजाओं की ताजपोशी होती रही है, हर धर्म के प्रतिनिधि पहली बार केंद्रीय भूमिका निभाएंगे." उन्होंने कहा, "महाराज चार्ल्स- III और महारानी कैमिला का राज्याभिषेक असाधारण राष्ट्रीय गौरव का क्षण होगा. राष्ट्रमंडल और उससे आगे के दोस्तों के साथ, हम अपने महान राजशाही की स्थायी प्रकृति का जश्न मनाएंगे. कोई अन्य देश ऐसा शानदार प्रदर्शन नहीं कर सकता." हालांकि, उन्होंने राज्याभिषेक पर जोर देकर कहा, "जून 1953 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की ताजपोशी के बाद 70 वर्षों में पहली बार यह केवल एक चमत्कार नहीं है, बल्कि इतिहास, संस्कृति और परंपराओं की एक गौरवपूर्ण अभिव्यक्ति है."
(पीटीआई-भाषा)