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बाइडेन प्रशासन का एच-1बी वीजा के लिए शुल्क में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव

भारतीय प्रोफेशल्स का अमेरिकन ड्रीम आने वाले समय में महंगा हो सकता है. इसकी वजह अमेरिका में नागरिकता देने और वीजा देने की फीस में भारी बढ़ोत्तरी किया जाना है. इसमें यूएस एच-1बी वीजा भी शामिल है, जिसका इस्तेमाल अधिकतर इंडियन प्रोफेशनल्स अमेरिका में रोजगार पाने के लिए करते हैं.

Joe Biden
जो बाइडेन

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Published : Jan 5, 2023, 4:56 PM IST

वाशिंगटन : जो बाइडेन प्रशासन ने आव्रजन शुल्क में भारी बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है. इसमें उच्च कुशल विदेशी पेशेवरों में बेहद लोकप्रिय एच-1बी वीजा भी शामिल है. अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) द्वारा बुधवार को प्रकाशित नियम के तहत एच-1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क 460 डॉलर से बढ़ाकर 780 डॉलर और एल-1 के लिए 460 डॉलर से बढ़ाकर 1,385 डॉलर करने का प्रस्ताव है. वहीं ओ-1 वीजा के लिए आवेदन शुल्क 460 डॉलर से बढ़ाकर 1,055 डॉलर करने का प्रस्ताव है.

एच-1बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष प्रकार की नौकरियों जिनमें प्रौद्योगिकी विशेषज्ञता की जरूरत होती है, के लिए रखने की सुविधा देता है. प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं. अमेरिका के गृह विभाग ने अधिसूचना में कहा है कि यूएससीआईएस मुख्य रूप से आवेदकों से जुटाए गए शुल्क से वित्तपोषित होता है. प्रस्तावित नियम के लिए 60 दिन की सार्वजनिक आपत्ति दर्ज करने की अवधि होगी. इसके बाद इसे लागू किए जाने की उम्मीद है.

जेब भी होगी ढीली -अमेरिका में इंवेस्ट करने या एंटरप्रेन्योर बनने की इच्छा रखने वालों को EB-5 वीजा दिया जाता है. इसे करोड़पति वीजा भी कहते हैं. इसकी फीस 303 प्रतिशत बढ़ सकती है यानी ये 3,675 डॉलर से बढ़कर 11,160 डॉलर हो जाएगी. हालांकि सभी तरह के वीजा की प्रीमियम प्रोसेसिंग की फीस पहले की तरह 2,500 डॉलर ही रखी गई है. जबकि अन्य कुछ शुल्क को कम करने का भी प्रस्ताव है. अमेरिका के गृह मंत्रालय ने मंगलवार को इन प्रस्तावित फीस हाइक की जानकारी फेडरल रजिस्टर (सरकारी गजट) में दी.

इमिग्रेशन डिपार्टमेंट के खर्चें होंगे पूरे -अमेरिका के गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेस का कहना है कि उसे अपने ऑपरेशंस के लिए फंड की जरूरत है. फीस में इस प्रस्तावित बढ़ोतरी से उसे मदद मिलेगी, क्योंकि डिपार्टमेंट चलाने का करीब 98 प्रतिशत खर्च उसे इसी फीस से मिलता है.

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(इनपुट-एजेंसी)

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