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उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में आत्मघाती विस्फोट, सुरक्षा बलों के 19 सदस्य घायल, दो गंभीर

पाकिस्तान में हुए आत्मघाती हमले में सुरक्षा बलों के 19 सदस्य घायल हो गए, जिनमें दो की हालत गंभीर बताई जा रही है. बताया जाता है कि हमलावर ने विस्फोटकों से लदी बाइक से सुरक्षाबलों के काफिले को निशाना बनाया.

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उत्तर पश्चिम पाकिस्तान में आत्मघाती विस्फोट

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Published : May 27, 2023, 4:46 PM IST

पेशावर : अफगानिस्तान की सीमा से लगे पश्चिमोत्तर पाकिस्तान के कबायली जिले में शनिवार को एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी बाइक से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाया जिसमें कम से कम 19 सदस्य से घायल हो गए. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के दो सदस्यों की हालत गंभीर बताई जा रही है. बीडीएस (बम निरोधक दस्ते) के प्रभारी इनायतुल्ला टाइगर ने कहा कि सुरक्षा बलों का काफिला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के डीआई खान से दक्षिण वजीरिस्तान के असमान मांजा इलाके की ओर जा रहा था, तभी आत्मघाती हमलावर ने उन पर हमला कर दिया. हालांकि सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी है. वहीं और पाकिस्तान की कानून-प्रवर्तन एजेंसियों ने हमले की जांच शुरू कर दी है. फिलहाल किसी ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.

बता दें कि इससे पहले बुधवार को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वजीरिस्तान में दत्ता खेल बाजार में एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से लदी कार से एक सुरक्षा चौकी को निशाना बनाया था, जिसमें चार लोग शामिल थे. वहीं शनिवार का हमला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुआ, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगा हुआ है. यह इलाका आतंकवादी पाकिस्तानी तालिबान समूह का पहले का गढ़ है, जिसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के रूप में भी जाना जाता है.

गौरतलब है कि 30 जनवरी को तालिबान के एक आत्मघाती हमलावर ने पेशावर की एक मस्जिद में दोपहर की नमाज़ के दौरान खुद को उड़ा लिया था. इस घटना में 101 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हो गए थे. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत, बलूचिस्तान, मियांवाली का पंजाब शहर के अलावा सिंध प्रांत की सीमा में आतंकवाद की वजह से अशांति है. पिछले साल नवंबर में, टीटीपी ने जून 2022 में सरकार के साथ हुए अनिश्चितकालीन संघर्ष विराम को वापस ले लिया था इसके बाद उसने अपने आतंकवादियों को सुरक्षा बलों पर हमले करने का आदेश दिया था.

पाकिस्तान को उम्मीद थी कि सत्ता में आने के बाद अफगान तालिबान टीटीपी के गुर्गों को बाहर निकालकर पाकिस्तान के खिलाफ अपनी मिट्टी का इस्तेमाल बंद कर देगा, लेकिन उन्होंने स्पष्ट रूप से इस्लामाबाद के साथ संबंधों को खराब करने की कीमत पर ऐसा करने से इनकार कर दिया है. 2007 में कई उग्रवादी संगठनों के एक समूह के रूप में स्थापित टीटीपी ने संघीय सरकार के साथ संघर्ष विराम को समाप्त कर दिया और अपने उग्रवादियों को देश भर में आतंकवादी हमले करने का आदेश दिया था. अलकायदा का करीबी समूह माने जाने वाले टीटीपी को पाकिस्तान भर में कई घातक हमलों के लिए दोषी ठहराया गया है. इसमें 2009 में सेना मुख्यालय पर हमला, सैन्य ठिकानों पर हमले और 2008 में इस्लामाबाद के मैरियट होटल में बमबारी शामिल है. इतना ही नहीं टीटीपी ने 2014 में पेशावर में जघन्य आर्मी पब्लिक स्कूल हमले को भी अंजाम दिया था, जिसमें 130 से अधिक छात्र मारे गए थे.

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(PTI)

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