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Race For US President Candidate : भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी बोले- मैं अमेरिकी राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल हूं, उप-राष्ट्रपति बनना लक्ष्य नहीं

भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने कहा कि अगर वह 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन हासिल करने में विफल रहे, तो वह उपराष्ट्रपति बनने के प्रस्ताव भी स्वीकार नहीं करेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

vivek ramaswamy
विवेक रामास्वामी

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Published : Aug 20, 2023, 1:37 PM IST

वाशिंगटन डीसी : भारतीय-अमेरिकी उद्यमी और रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने अमेरिकी प्रशासन में उपराष्ट्रपति का पद संभालने के सवाल को सिरे से खारिज कर दिया. अमेरिकी अखबार द हिल की रिपोर्ट के मुताबिक रामास्वामी ने कहा कि अगर वह 2024 के लिए राष्ट्रपति पद का नामांकन नहीं जीतते हैं तो वह उपराष्ट्रपति पद का प्रस्ताव स्वीकार नहीं करेंगे. उन्होंने शनिवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे सरकार में किसी और पद में कोई दिलचस्पी नहीं है. उन्होंने कहा कि सच कहूं तो, मैं संघीय सरकार में नंबर 2 या नंबर 3 बनने से पहले निजी क्षेत्र में काम करना ज्यादा पसंद करुंगा.

रामास्वामी और डोनाल्ड ट्रंप में समानता :उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप और मेरे बीच एक बात समान है. वह यह है कि हममें से कोई भी नंबर 2 की स्थिति में अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगा. रामास्वामी की टिप्पणी पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत निक्की हेली जैसे अन्य उम्मीदवारों की तरह ही है, जिन्होंने भी कहा है कि उन्हें दूसरे नंबर पर आने में कोई दिलचस्पी नहीं है.

निक्की हेली से मिलता जुलता बयान : हेली ने इस सप्ताह कहा था कि मुझे लगता है कि हर कोई जो कह रहा है कि वह उपराष्ट्रपति बनने के लिए ऐसा कर रही है, उन्हें यह समझने की जरूरत है कि मैं दूसरे नंबर के लिए नहीं दौड़ती. इस बीच, जीओपी प्राथमिक चुनावों में रामास्वामी ने तेजी से बढ़त हासिल की है. वह फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस के साथ दूसरे स्थान पर हैं. हालांकि, द हिल के अनुसार, दोनों उम्मीदवार पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से काफी पीछे हैं, जो 56 प्रतिशत के साथ आगे चल रहे हैं.

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चीन और यूक्रेन पर क्या सोचते हैं रमास्वामी :नीतिगत मोर्चे पर, रामास्वामी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 'तानाशाह' और बीजिंग को अमेरिका के लिए 'सबसे बड़ा' खतरा बताते हुए 'पूर्ण अलगाव' की पुरजोर वकालत की है. उन्होंने एक 'सौदे' का भी प्रस्ताव रखा है, जहां रूस-यूक्रेन संघर्ष मॉस्को द्वारा डोनबास क्षेत्र के कुछ हिस्सों को अपने पास रखने और कीव के नाटो में शामिल नहीं होने के साथ समाप्त हो जाएगा. हालांकि, यह समझौता तभी हो सकता है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चीन के साथ अपने सैन्य गठबंधन से बाहर निकल जायेंगे.

(एएनआई)

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