जिनेवा (स्विट्जरलैंड) : जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 52वें सत्र के दौरान लगातार पाकिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं. सिंधी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने यूएनएचआरसी के समक्ष पाकिस्तान के सिंध में मानवाधिकार की बिगड़ती स्थिति के बारे में जानकारी दी है. फातिमा गुल, मुजफ्फर तालपुर, रेवा थरवानी और सिंधु रुस्तमनी सहित सिंधी पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने 'पाकिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन' नामक एक अतिरिक्त कार्यक्रम में इस बारे में अपनी बातें रखी.
उन्होंने कहा कि इस ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है. पाकिस्तानी मूल की अमेरिकी नागरिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता फातिमा गुल ने कहा कि सिंध में बुनियादी कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब है. हजारों युवा लड़कियों का अपहरण हो चुका है. ये लड़कियां ज्यागातर गैर मुस्लिम थीं. जिन्हें बाद में इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया गया. इनमें से कई लड़कियों की हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा कि सिंध में लोग अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं की शिकार हो रहे हैं.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू कट्टरपंथी इस्लामी संस्थाओं और इनके समर्थकों के हाथों उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं. गैर मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने के लिए ईशनिंदा कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है. गुल ने कहा कि ईशनिंदा कानून और उसके बहाने से होने वाली हिंसा एक बहुत ही गंभीर समस्या है. उन्होंने कहा कि सिंध में मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम हिंदू और ईसाई सभी को इस्लामी अध्ययन पढ़ाया जाता है. ईशनिंदा के लिए सिंधी लोगों को गिरफ्तार करना हास्यास्पद और गलत है.