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शिनजियांग नरसंहार सम्मेलन का मकसद चीन पर दबाव बढ़ाना

चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा शिनजियांग प्रांत में किए गए उइगर नरसंहार पर चर्चा के लिए ब्रिटेन में सम्मेलन हो रहा है. जिसमें राजनीतिक और मानवाधिकार समूहों के साथ प्रमुख विद्वान और वकील शामिल हो रहे हैं. इसका मकसद चीन पर दबाव बनाना है.

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Published : Sep 1, 2021, 7:54 PM IST

उइगर नरसंहार
उइगर नरसंहार

लंदन : पश्चिमोत्तर शिनजियांग क्षेत्र में उइगर जातीय समूह (Uyghur ethnic group) के खिलाफ चीन की सरकार के कथित नरसंहार पर चर्चा के लिए पहली बार बड़े पैमाने पर हो रहे सम्मेलन में बुधवार को राजनीतिक और मानवाधिकार समूहों के साथ प्रमुख विद्वान और वकील शामिल हो रहे हैं.

न्यूकैसल विश्वविद्यालय में हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में वरिष्ठ ब्रिटिश न्यायाधीश और सांसदों समेत दर्जनों वक्ता जुड़ रहे हैं. यह पहला मौका है जब शिनजियांग और नरसंहार पर इतने विशेषज्ञ इकट्ठा हो रहे हैं.

इस नवीनतम कदम का उद्देश्य उइगर और अन्य मुस्लिम और तुर्की मूल के अल्पसंख्यकों के अधिकारों के कथित हनन को लेकर चीन को जवाबदेह ठहराना है.

वक्ता जबरन श्रम, जबरन जन्म नियंत्रण और धार्मिक बदलावों समेत उइगरों को निशाना बनाने वाले कथित अत्याचारों के साक्ष्यों को शामिल करेंगे तथा इस कथित ज्यादती को रोकने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई के लिये मजबूर करने वाले तरीकों पर चर्चा करेंगे.

उइगर अध्ययन में विशेषज्ञता रखने वाली आयोजक जो स्मित फिनले ने कहा, 'हम नहीं चाहते कि यह सिर्फ विद्वानों के मामले तक सिमट कर रह जाए- हम इन सभी लोगों को इकट्ठा कर रहे हैं जिससे, चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए, उइगर लोगों के उत्पीड़न को खत्म करने के तरीकों को सोचने के लिये, उनकी विशेषज्ञता और प्रभाव को एक साथ लाया जा सके.'

उन्होंने कहा, 'यह एक बड़ी मानवीय आपदा है जो तेजी से बढ़ रही है. यह नरसंहार है या सांस्कृतिक नरसंहार अथवा मानवता के खिलाफ अपराध और हम उस पर कैसे मुकदमा चला सकते हैं. हम वास्तव में इस पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं कि इसे रोकने के लिये हम क्या कर सकते हैं.'

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फिनले ने कहा कि शिक्षाविद एड्रियन ज़ेनज़, जिनके उइगर महिलाओं के बीच जबरन नसबंदी पर शोध ने इस मुद्दे पर व्यापक ध्यान आकर्षित किया, वो आधिकारिक दस्तावेज पेश करेंगे जो दावा करते हैं कि बीजिंग उइगर आबादी को जबरन कम करना चाहता है.

चीनी अधिकारी नरसंहार और अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों को निराधार बताकर खारिज करते रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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