लंदन :'पेंडोरा पेपर्स' के दस्तावेजों में सामने आया है कि किस प्रकार लंदन दुनिया के कुछ सबसे अमीर और ताकतवर लोगों के 'काले धन' को छिपाने का अड्डा बना हुआ है. इस रहस्योद्घाटन के बाद से ब्रिटेन की कंजर्वेटिव सरकार पर इससे निपटने की व्यवस्था को सुदृढ़ करने का दबाव बढ़ रहा है.
'इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स' (आईसीआईजे) द्वारा रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट में ब्रिटेन और लंदन को काला धन छिपाने के प्रमुख अड्डों के तौर पर दिखाया गया है. आईसीआईजे में ब्रिटेन गार्डियन और अखबार और बीबीसी भी साझेदार हैं.
लंदन में जिनके खाते बताए गए हैं, उनमें जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला (द्वितीय), आजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सहयोगी शामिल हैं. अब्दुल्ला ने कोई खाता होने की बात से इनकार किया है और खान ने ट्वीट किया कि उनकी सरकार इन आरोपों की जांच करेगी और दोषियों को सजा देगी.
अलीयेव ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, लेन-देन ब्रिटिश कानून के अनुसार वैध है, लेकिन हाल में हुए खुलासे से पता चला है कि धनी लोग कर चोरी करने की खातिर कितनी जटिल प्रक्रिया अपनाते हैं. लंदन विशेष रूप से रईस और शक्तिशाली लोगों द्वारा अपना धन छुपाने की पसंदीदा जगह है क्योंकि यहां ऐसा जटिल पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है, जो इस ऐसा करने में सहायता करता है.
इसमें संपत्ति का प्रबंधन करने वाले फर्म, चतुर वकील और लंबे समय से स्थापित अकॉउंटिंग कंपनियां शामिल हैं. लंदन का संपत्ति बाजार वह भूमिका निभाने के लिए कुख्यात है, जिसके जरिये दुनियाभर के धनी लोग अपनी अघोषित संपत्ति को छुपाने यहां आते हैं और शहर के बीचोबीच महंगी संपत्ति के मालिक बन जाते हैं. उदाहरण के तौर पर रूस के कई रईसों ने हाल के वर्षों में लंदन में बेहद महंगी संपत्ति खरीदी है.
वर्ष 2016 में सामने आए 'पनामा पेपर्स' और उसके बाद 'पैराडाइस पेपर्स' मामले में भी ऐसे वित्तीय आंकड़े सामने आए थे, जिसमें लंदन का प्रमुख रूप से उल्लेख था. 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल यूके' समूह के नीति निदेशक डंकन हेम्स ने कहा कि इन खुलासों से सरकार को नींद से जागना चाहिए और कर चोरी तथा धन शोधन के प्रति ब्रिटेन को कड़े कदम उठाने चाहिए.