मॉस्को :रूस ने बुधवार को अफगानिस्तान के मुद्दे पर वार्ता की मेजबानी की, जिसमें तालिबान और पड़ोसी देशों से वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल हुए. वार्ता संबंधित मुद्दे पर रूस के कूटनीतिक प्रभाव को दर्शाती है. वार्ता की शुरुआत करते हुए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए ऐसी वास्तविक समावेशी सरकार के गठन की आवश्यकता है, जिसमें देश के सभी जातीय समूहों और राजनीतिक दलों के हित की झलक दिखे.
रूस ने 2003 में तालिबान को आतंकवादी संगठन घोषित किया था, लेकिन इसके बावजूद वह इस समूह से संपर्क स्थापित करने के लिए वर्षों तक काम करता रहा. इस तरह के किसी भी समूह से संपर्क करना रूस के कानून के तहत दंडनीय है, लेकिन रूसी विदेश मंत्रालय ने मुद्दे पर विरोधाभास से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए कहा है कि अफगानिस्तान में स्थिरता लाने में मदद के लिए तालिबान से बात करना आवश्यक है.
गत अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अन्य देशों से इतर रूस ने वहां काबुल स्थित अपने दूतावास को खाली नहीं किया और तभी से इसके राजदूत तालिबान के प्रतिनिधियों से लगातार मुलाकात करते रहे हैं.
लावरोव ने सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में अफगानिस्तान में स्थिति को स्थिर बनाने और सरकारी संस्थानों का संचालन सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए तालिबान की सराहना की.
उन्होंने साथ ही अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के सम्मान के महत्व पर भी जोर दिया.
बुधवार की वार्ता में शामिल हुए तालिबान की अंतरिम सरकार के उपप्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनाफी ने कहा कि पूरे देश की स्थिरता के लिए बैठक बहुत महत्वपूर्ण है.