दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

राष्ट्रपति पुतिन की प्रतिष्ठा दांव पर, नहीं रुकेगा रूस : पूर्व राजदूत एस.डी. मुनि

रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia-Ukraine war) छठे दिन भी जारी है, जहां स्थिति मिनट दर मिनट बिगड़ती जा रही है. ऐसे में दोनों के देशों के बीच तनाव तभी खत्म होगा, जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चाहेंगे. लेकिन अगर पुलिस अब पीछे हटे तो इसका असर उनकी राजनीतिक स्थिति पर पड़ सकता है. ये बातें विदेश मामलों के जानकार प्रो. एस.डी.मुनि ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान कहीं. पढ़ें, इस पर वरिष्ठ पत्रकार सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

राष्ट्रपति पुतिन
राष्ट्रपति पुतिन

By

Published : Mar 1, 2022, 10:46 PM IST

Updated : Mar 2, 2022, 3:07 PM IST

नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia-Ukraine war) अब अपने छठे दिन में प्रवेश कर चुकी है. रूस की सेना यूक्रेन की राजधानी कीव पर बमबारी कर रही है. वहीं, देश के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर भी बमबारी के कारण हालात काफी खराब हो चुके हैं. हालांकि, अमेरिका और अन्य समर्थक देशों ने रूस की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए प्रतिबंध लगाया है. साथ ही अमेरिका यूक्रेन को भारी सैन्य आपूर्ति भी भेज रहा है. इसके बावजूद, युद्ध बंद नहीं हुआ है.

इस पर भारत के पूर्व राजदूत तथा स्कॉलर एस.डी. मुनि ने ईटीवी भारत को बताया कि इस वक्त रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रतिष्ठा दांव पर (Putin's prestige is at stake) है. अब अगर पुतिन ने जंग रोक दी, तो रूस में उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता कम हो जाएगी (Putin's political credibility may go down in Russia), जिसे वह शायद बर्दाश्त नहीं कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि पुतिन निश्चित रूप से रूस में अपना राजनीतिक दबदबा बढ़ाना चाहते हैं, जो वर्तमान परिस्थितियों में संभव नहीं है. अगर यूरोपीय संघ तथा यूक्रेनियन के मुताबिक रूस ने कदम उठाया तो उसकी हालत अफगानिस्तान जैसी हो जाएगी. रूस और यूक्रेन के बीच सोमवार को दक्षिणपूर्वी बेलारूस में पहले दौर की बैठक हुई थी, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही. इस पर एस. डी. मुनि ने कहा कि इस वार्ता से कोई परिणाम नहीं निकलने वाला था. दोनों पक्ष अपने-अपने उद्देश्यों पर अटल हैं. किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि इस बैठक से युद्धविराम होगा.

पढ़ें :रूस-यूक्रेन युद्ध : हाई अलर्ट पर रूस के परमाणु बल, अमेरिका ने बेलारूस में बंद किया दूतावास

उन्होंने कहा कि सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ में सदस्यता के लिए आवेदन दिया था. लेकिन यूरोपीय संघ ने अब तक निश्चित जवाब नहीं दिया है. यूक्रेन को यूरोपीय संघ में शामिल करने के लिए यूरोपीय संसद में विशेष प्रवेश प्रक्रिया होगी. यूक्रेन को यूरोपीय संघ में शामिल करने के प्रस्ताव पर संसद में वोटिंग होगी.

रूस और यूक्रेन के बीच तनावों का कारण यूक्रेन का नाटो की सदस्यता लेने की कोशिश है, नतीजन यूक्रेन पर रूस कहर बरपा रहा है. पुतिन के कार्यों के पीछे मोटे तौर पर चार उद्देश्य हैं- पहला, यह सुनिश्चित करना कि यूक्रेन नाटो में शामिल न हो और यूक्रेन रूस और नाटो के बीच एक बफर जोन बना रहे. दूसरा कीव में शासन बदले. तीसरा, रूस के भीतर पुतिन की अपनी राजनीतिक लोकप्रियता और आखिरी में यूरोप में रूस का अलगाव हो सकता है.

उधर, युद्ध के कारण यूक्रेन के समर्थक देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध उसे पूरी तरह से चीन पर निर्भर बना रहा हैं, जो राष्ट्रपति पुतिन नहीं चाहते हैं, लेकिन उनके पास और कोई विकल्प भी नहीं है. इसलिए पुतिन अब यूरोप के साथ अधिक जुड़ाव चाहते हैं. अगर ऐसा होता है, तो यह केवल वैश्विक संतुलन और स्थिरता को बढ़ावा देंगे और यही भारत भी चाहेगा लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है.

एस.डी. मुनि ने यूक्रेन संकट पर भारत के रुख के बारे में कहा कि हमारे देश ने अब तक एक तरह का संतुलन बनाए रखा है. साथ ही भारत यूक्रेन से कहता आया है, 'हम आपके साथ हैं.' भारत यूक्रेन को चिकित्सा आपूर्ति भी भेज रहा है. वहीं, भारत यूक्रेन की ज्यादा मदद नहीं कर सकता, क्योंकि इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दों पर रूस या यूरोप पर भारत का कोई खास प्रभाव नहीं है.

रूस के साथ भारत के गहरे और समृद्ध द्विपक्षीय संबंध हैं. खासकर रक्षा मामलों में. रूस की निंदा करने से न केवल हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा बल्कि यह क्रेमलिन को चीन की ओर और अधिक धकेल देगा, जो भारत निश्चित रूप से नहीं चाहेगा. उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों के साथ संपर्क में हैं और एक संतुलन बनाए हुए हैं. हम वैश्विक स्तर पर पुतिन की कार्रवाई की न निंदा और न ही उनका समर्थन कर सकते हैं.

इस संकट में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर एस.डी. मुनि ने कहा कि पिछले एक सप्ताह में यूएनएससी की कई उच्च स्तरीय बैठकें हुई तथा शुक्रवार को यूक्रेन पर सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के मसौदे को रूस ने वीटो किया. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र हमेशा से वीटो अधिकारों के कारण अक्षम रहा है, जब तृतीय विश्व के देशों की बात आती है तो वे केवल एकमत निर्णय ले सकते हैं. जब पी5 के बीच संघर्ष का कोई मुद्दा होता है, तो वह इन मुद्दों को हल करने में विफल रहता है. उन्होंने कहा कि इस युद्ध का भविष्य बर्बादी हो सकता है और ये बर्बादी तभी रुकेगी, जब राष्ट्रपति पुतिन पीछे हट जाएं, लेकिन इससे उनकी राजनीतिक स्थिति का पतन होगा.

Last Updated : Mar 2, 2022, 3:07 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details