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जानें क्यों भारतीय छात्रों ने लिखा ब्रिटिश पीएम जॉनसन को पत्र और की न्याय की गुहार

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को भारतीय छात्रों सहित 200 से अधिक विदेशी विद्यार्थियों ने पत्र लिखा है. पीएम को लिखे इस पत्र में छात्रों ने न्याय की गुहार लगाई है. जानें क्या है पूरा मामला...

indian students appeal to uk pm
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Published : Sep 24, 2020, 8:24 PM IST

लंदन: कई भारतीय छात्रों सहित 200 से अधिक विदेशी विद्यार्थियों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को लिखे उस पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें छह साल पहले अनिवार्य हुए अंग्रेजी भाषा की परीक्षा में उन पर धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है.

डाउनिंग स्ट्रीट में जॉनसन को सौंपे गये इस पत्र में इन छात्रों ने उनसे न्याय की गुहार लगाई है. माना जाता है कि इस मामले में करीब 34 हजार अंतरराष्ट्रीय छात्र प्रभावित हुए और यह अंतरराष्ट्रीय संवाद के लिए अंग्रेजी की परीक्षा (टीओईआईसी) से संबंधित हैं जो कुछ छात्रों के वीजा मामलों में अनिवार्य होता है.

इस मामले में फंसे छात्रों में से अधिकतर भारतीय हैं और इनका लगातार यही कहना है कि वे निर्दोष हैं. ये छात्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनकी बेगुनाही साबित करने का एक मौका दिया जाए.

पत्र में लिखा है कि हम निर्दोष हैं लेकिन हमारे वीजा को अस्वीकार कर दिया गया था या निरस्त कर दिया गया था और सरकार ने हमें अपना बचाव करने का कोई मौका नहीं दिया. हमारा भविष्य नष्ट कर दिया गया और हमें एक साल की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए छोड़ दिया गया, जिसमें हममें से प्रत्येक पर हजारों पाउंड का खर्च आया.

जॉनसन को संबोधित पत्र में लिखा है कि हम आपको यह पत्र इसलिए लिख रहे हैं क्योंकि इस गलत को सही करना आपके अधिकार क्षेत्र में है जिससे हमारे निरोध, निर्वासन और अपमान को समाप्त किया जा सके. हमें एक स्वतंत्र और पारदर्शी योजना स्थापित करके हमें अपनी निर्दोषता साबित करने की अनुमति दें जिसके माध्यम से हम अपने मामलों की समीक्षा करा सकते हैं.

समूह को उसके संघर्ष में माइग्रेंट वायस के कार्यकर्ताओं और लेबर पार्टी के सांसद स्टीफन टिम्स सहित कई सांसदों द्वारा समर्थन दिया गया है. इस समूह ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को इस सप्ताह लिखे पत्र में यह भी उजागर करने की कोशिश की कि कोरोनो वायरस महामारी के दौरान उनकी मुश्किलों को कैसे बढ़ाया गया है.

यह भी पढ़ें-ब्रिटेन : कोरोना की दूसरी लहर, राष्ट्रव्यापी पाबंदियां लगाने की संभावना

यह मुद्दा फरवरी 2014 से पहले का है, जब बीबीसी की पैनोरमा' पड़ताल में एजुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ईटीएस) द्वारा चलाए जा रहे अंग्रेजी भाषा के दो परीक्षा केंद्रों में संगठित धोखाधड़ी के सबूतों को उजागर किया गया था.

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