मिन्स्क/ कीव:रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडलों ने वार्ता के लिए सोमवार को मुलाकात की. रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में जमीन पर सबसे बड़ी लड़ाई छेड़ रखी है लेकिन उसे अप्रत्याशित कड़े विरोध से जूझना पड़ रहा है. कीव में सोमवार को तनावपूर्ण शांति रही लेकिन पूर्वी यूक्रेन के शहरों में धमाकों एवं गोलीबारी सुनाई दी. दहशत के मारे यूक्रेनी परिवार आश्रयों व बेसमेंट में सिमटे रहे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल अगले दौर की वार्ता के लिए भी सहमत हो गए हैं. इस बार पोलैंड-बेलारूस की सीमा पर बातचीत होगी.
दक्षिण-पूर्व यूक्रेन के मारीउपोल में सिसकती हुई एलेंक्जड्रा मिखाईलोवा ने कहा, 'मैं बैठकर प्रार्थना करती हूं कि ये वार्ता सफलतापूर्वक समाप्त हों ताकि वे नरसंहार बंद करने के लिए समझौते तक पहुंच पाएं तथा और युद्ध न हो.'
अब भी उम्मीद की किरणें नजर आ रही हैं. सोमवार को युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन और रूस के अधिकारी पहली बार आमने-सामने वार्ता की मेज पर बैठे. वार्ता की विशाल मेज पर एक तरफ यूक्रेन का झंडा और दूसरी ओर रूस का तिरंगा था. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के कार्यालय ने कहा कि वह तत्काल संघर्षविराम और रूसी सैनिकों की वापसी की मांग करेगा.
यूक्रेन ने अपने रक्षा मंत्री एवं अन्य शीर्ष अधिकारियों को वार्ता के लिए भेजा जबकि रूस के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई पुतिन के संस्कृति विषयक सलाहकार कर रहे हैं. यह इस बात का संकेत है कि रूस वार्ता को किस नजरिए से देखता है. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस वार्ता से या युद्ध से क्या चाह रहे हैं.