रोम : विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने सदी के तकरीबन मध्य तक 'कार्बन न्यूट्रेलिटी' लक्ष्य तक पहुंचने का रविवार को वादा किया. उन्होंने दो-दिवसीय जी20 सम्मेलन संपन्न करते हुए स्कॉटलैंड के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के लिए जमीन तैयार किया.
जी20 नेताओं के अंतिम वक्तव्य के मुताबिक वे विदेशों में कोयला चालित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए सार्वजनिक वित्त पोषण खत्म करने को सहमत हुए, लेकिन घरेलू स्तर पर कोयले का उपभोग चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया, जो शीर्ष कार्बन उत्सर्जकों चीन और भारत के लिए एक स्पष्ट सहमति है.
'कार्बन न्यूट्रेलिटी' या 'नेट जीरो' (निवल शून्य) उत्सर्जन का अर्थ वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों के जुड़ने और उनके हटने के बीच संतुलन स्थापित होना है.
जी20 देश, विश्व के ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के करीब तीन-चौथाई हिस्से के लिए जिम्मेदार हैं और सम्मेलन की मेजबानी करने वाला देश इटली बढ़ते तापमान के प्रभावों से निपटने में गरीब देशों की मदद करते हुए उत्सर्जन घटाने के उपायों पर ठोस प्रतिबद्धता के लिए साझा आधार तलाश रहे हैं.
इसके बिना, ग्लासगो में व्यापक वार्षिक वार्ता की गति थम सकती है, जिसकी आधिकारिक शुरुआत रविवार को हुई और वहां विश्व भर के देशों का प्रतिनिधित्व रहेगा, जिनमें समुद्र जल के बढ़ते स्तर, मरूस्थलीकरण व अन्य प्रभावों का सामना कर रहे गरीब देश भी शामिल हैं.
'ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में अधिक निवेश करने की जरूरत'
इतालवी प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने रविवार को अंतिम कार्यकारी सत्र में शामिल होने जा रहे नेताओं से कहा कि उन्हें दीर्घकालीन लक्ष्य निर्धारित करने और उस तक पहुंचने के लिए संक्षिप्त अवधि में बदलाव करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, हमें कोयले का उपभोग चरणबद्ध तरीके से खत्म करने और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों में अधिक निवेश करने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, हमें यह तय करने की जरूरत है कि हम उपलब्ध संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करें, जिसका मतलब है कि हमें इस नयी दुनिया के अनुकूल प्रौद्योगिकियां अपनाने और जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत है.
जलवायु अनुकूलन में मदद के लिए वित्त बढ़ाने का वादा
वक्तव्य के मुताबिक, जी20 ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए गरीब देशों की मदद करने को लेकर सालाना 100 अरब डॉलर जुटाने के अमीर देशों के पुराने वादों को दोहराया और उन्हें जलवायु अनुकूलन में मदद के लिए वित्त बढ़ाने का वादा किया.
इसके मुताबिक जी20 नेताओं ने कहा कि वे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने, जलवायु अनुकूलन और वित्त पोषण को बढ़ाएंगे. इसमें सदी के तकरीबन मध्य तक 'नेट जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन' या 'कार्बन न्यूट्रेलिटी' की प्रासंगिकता को स्वीकार किया गया है.
एक फ्रांसीसी अधिकारी ने बताया कि मध्य सदी का अर्थ कड़ी समय सीमा के रूप में 2050 से है लेकिन जी20 देशों के बीच विविधता को देखते हुए...इसका मतलब है कि राष्ट्रीय विविधता पर गौर करते हुए इस समय सीमा में थोड़ी राहत के साथ हर कोई एक साझा लक्ष्य के प्रति सहमत है.