न्यूयॉर्क : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस (France) के उनके समकक्ष एमैनुअल मैक्रों (Emmanuel Macron) के बीच इस हफ्ते फोन पर बातचीत से संभावना है कि नए हिंद-प्रशांत गठबंधन ((Indo- Pacific Security Alliance) से फ्रांस को बाहर रखे जाने और पनडुब्बी समझौता रद्द होने पर उसकी नाराजगी थोड़ी कम हुई हो. हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि नए गठबंधन को लेकर फ्रांस का गुस्सा अब भी जस का तस बना हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के इतर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) से बृहस्पतिवार को मुलाकात के बाद फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने इस स्थिति को 'संकट' करार दिया जिससे उबरने में वक्त लगेगा.
दरअसल, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नए हिंद-प्रशांत सुरक्षा गठबंधन से फ्रांस को अलग रखा है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन 'ऑकस' की घोषणा की है. फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच डीजल पनडुब्बियों के निर्माण के लिए करीब 100 अरब डॉलर का सौदा हुआ था. नई ऑकस पहल की शर्तों के तहत ऑस्ट्रेलिया के लिए डीजल पनडुब्बियों के निर्माण का यह सौदा समाप्त हो जाएगा, जिससे फ्रांस नाखुश है.
लि द्रीयां के अनुसार उन्होंने और ब्लिंकन ने विश्वास बहाल करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच गहन विचार-विमर्श की प्रक्रिया में सामने आने वाली शर्तों और विषयों पर चर्चा की. फ्रांस के विदेश मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, लि द्रीयां ने कहा, दोनों राष्ट्रपतियों के बीच फोन पर बातचीत के साथ इस दिशा में पहला कदम बढ़ाया गया है लेकिन दोनों देशों के बीच इस संकट को खत्म होने में वक्त लगेगा और इसके लिए काम करना होगा.