पेरिस : 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है. इस दिन को बैस्टिल (Bastille day) दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज के ही दिन 1789 में फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने पेरिस के किनारे स्थित बैस्टिल सैन्य किले को बंद कर दिया था. इस घटना को फ्रांसीसी क्रांति की चिंगारी माना जाता है. यह घटना फ्रांसीसी क्रांति का एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इसे 1792 में फ्रांस के संप्रभु राष्ट्र प्रथम गणराज्य के निर्माण के रूप में मनाया जाता है.
फ्रांस में 1300 के दशक में ब्रिटिश के खिलाफ युद्ध के दौरान बैस्टिल को पेरिस शहर के पूर्वी प्रवेश द्वार की सुरक्षा के लिए बनाया गया था. पत्थर से बनी विशाल इमारत की सुरक्षा में 100 फुट ऊंची दीवारें और एक चौड़ी खाई बनाई गई थी. साथ ही 80 से अधिक नियमित सैनिक और 30 स्विस (Swiss) सैनिक इसकी सुरक्षा में तैनात रहते थे.
जेल के रूप में इस्तेमाल हुआ किला
इस सैन्य किले को जेल के रुप में भी इस्तेमाल किया गया. इसमें राजनीतिक मतभेदी (कई लेखक, दार्शनिक) को रखा जाता था. इसमें से कईयों को राजा के आदेश पर बिना किसी मुकदमे के बंद कर दिया गया था. यह किला निरंकुशता एवं अत्याचार का प्रतीक था और इसके पतन से पुरात्तव व्यवस्था को गहरी चुनौती मिली. इस घटना का प्रभाव फ्रांस के ग्रामीण इलाकों में भी पड़ा और ग्रामीणों ने सामंती करों के अभिलेखों को आग लगा दी.
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बाल्तेयर और मीराबो जैसे प्रसिद्ध नेता रहे कैद
इस जेल में बाल्तेयर और मीराबो जैसे प्रसिद्ध नेता भी बंद किए गए थे. इस किले पर हमला करके क्रांतिकारियों ने किले पर कब्जा कर लिया. माना जाता है कि अगर राजा चाहता तो भीड़ को दबा सकता था, लेकिन इस घटना के बहुत राजनीतिक महत्व थे. इस जीत के साथ लोगों ने दूसरी बार निरंकुश शासन पर विजय प्राप्त की थी. जिसके बाद इस दिन (14 जुलाई) को राष्ट्रीय अवकाश का दिन घोषित कर दिया गया.
बैस्टिल के पतन के बाद क्रांति
बैस्टिल के पतन के बाद फ्रांस के अलग-अलग हिस्सों में क्रांति की लहरें उठने लगी. शहरों में नई तरह की म्युनिसिपल सरकार और सुरक्षा दल का संगठन बनने लगे. गांव-देहातों में किसानों ने कानून अपने हाथ में ले लिया और सामंतो के कागजात जला डाले और जहां-तहां मारपीट मच गई. इस घटना का नतीजा यह हुआ कि यहां सामंत- प्रथा पूरी तरह खत्म हो गई.
हमला करने वाले क्रांतिकारी में कौन थे शामिल?
बैस्टिल पर हमला करने वाले क्रांतिकारी ज्यादातर शिल्पकार और स्टोर के मालिक थे जो पेरिस में रहते थे. वे एक फ्रांसीसी सामाजिक वर्ग के सदस्य थे जिन्हें थर्ड एस्टेट कहा जाता था. हमले में भाग लेने वाले करीब 1000 लोग थे. इस हमले से पहले 14 जुलाई की सुबह क्रांतिकारियों ने बैस्टिल से संपर्क किया. उन्होंने मांग की थी कि बैस्टिल के सैन्य नेता , गर्वनर डी लाउले, जेल को आत्मसमपर्ण कर दें और बारुद को सौंप दें, लेकिन उनकी इस मांग को नकार दिया गया. जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, भीड़ उत्तेजित होती गई. दोपहर की शुरुआत में वे किले के आंगन तक जाने में कामयाब रहे. जिसके बाद क्रांतिकारी मुख्य किले में घुसने और उसे तोड़ने की कोशिश करने लगे. बैस्टिल में सैनिक डर गए और भीड़ पर गोलीबारी की गई. लड़ाई शुरु हो चुकी थी. हालांकि इस लड़ाई में मोड़ तब आया जब कुछ सैनिक भीड़ के पक्ष में शामिल हो गए.
राजा लुई सोलहवें का अंत
किले पर हमले के बाद गर्वनर डी लाउले को लगा अब स्थिति काबू में नहीं है और उसने आत्मसमर्पण कर दिया और किला क्रांतिकारियों के नियंत्रण में आ गया. इस लड़ाई में 100 क्रांतिकारी भी मारे गए. आत्मसमर्पण के बाद गर्वनर डी लाउले और तीन अधिकारियों को भीड़ द्व्रारा मार दिया गया. इस घटना का परिणाम यह हुआ कि राजा लुई सोलहवें के शासन को उखाड़ फेंका गया.
फ्रांसीसी राष्ट्रीय दिवस 14 जुलाई, 1789 और 14 जुलाई, 1790 दोनों अहम दिनों के तौर पर मनाया जाता है. 14 जुलाई 1880 में रिपब्लिकन (Republicans ) और रॉयलिस्ट (Royalists) के बीच एक समझौते के रूप में यह फ्रांस का राष्ट्रीय दिवस बन गया. मिल्वौकी (Milwaukee), विस्कॉन्सिन (Wisconsin) में बड़े धूम धाम से बैस्टिल दिवस का उत्सव चार दिनों तक मनाया जाता है. वहीं, 1979 में इस दिन पेरिस में आउटडोर संगीत कार्यक्रम हुआ जिसमें 1 मिलियन से अधिक लोगों ने भाग लिया था.