दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

किसे मिलेंगे निजाम के 332 करोड़ रुपये, लंदन की अदालत में सुनवाई

1947 में देश के बंटवारे के समय हैदराबाद के सातवें निजाम से संबंधित धन को लेकर दशकों से कानूनी विवाद चला आ रहा है. इस मामले में लंदन स्थित रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश मार्क्स स्मिथ ने पिछले साल फैसला सुनाया था.

uk court over historic funds
निजाम के वंशज पहुंचे ब्रिटिश अदालत

By

Published : Jul 23, 2020, 4:37 PM IST

Updated : Jul 23, 2020, 5:54 PM IST

लंदन : ब्रिटेन की एक बैंक में जमा साढ़े तीन करोड़ पाउंड (करीब 332 करोड़ रुपये) की राशि को लेकर ऐतिहासिक विवाद लंबे समय से चला आ रहा है. हैदराबाद के निजाम के वंशज इस मामले में पक्षकार हैं. धन विवाद के संबंध में निजाम के वंशजनजफ अली खानएक बार फिर लंदन स्थित उच्च न्यायालय पहुंचे हैं.सातवें निजाम के प्रशासक पर लगाए गए विश्वासघात के आरोपों पर ब्रिटिश अदालत के न्यायाधीश गुरुवार को भी सुनवाई जारी रखेंगे.

दरअसल, 1947 में देश के बंटवारे के समय हैदराबाद के सातवें निजाम से संबंधित धन को लेकर दशकों से कानूनी विवाद चला आ रहा है. इस मामले में लंदन स्थित रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के न्यायाधीश मार्क्स स्मिथ ने पिछले साल फैसला सुनाया था.

फैसले को चुनौती दे रहे निजाम के वंशज नजफ अली खान ने अदालत से कहा कि भारत और दो शहजादों-मुकर्रम जाह तथा उनके छोटे भाई मुफ्फकम जाह को धन अनुचित तरीके से जारी किया गया था. उन्होंने खुद के वित्तीय संकट में होने का भी दावा किया.

निजाम के अन्य वंशज नजफअली खान ने सातवें निजाम के 116 उत्तराधिकारियों की तरफ से इस सप्ताह इस निर्णय को चुनौती देने की बात कही. उन्होंने सातवें निजाम के प्रशासक पर 'विश्वासघात' का आरोप भी लगाया.

न्यायाधीश स्मिथ ने मामले को फिर से खोलने के नजफ अली खान के प्रयास को खारिज करते हुए कहा मैंने 2019 में अपने निर्णय में उस धन का लाभ स्वामित्व तय किया था. यह स्वीकार करना असंभव है कि उन्हें मामले को फिर से खोलने का अधिकार दिया जा सकता है.

दरअसल, जिस रकम को लेकर विवाद है इसे साल 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम उस्मान अली खान ने नवगठित पाकिस्तान के ब्रिटेन में उच्चायुक्त रहे हबीब इब्राहिम रहीमटोला के लंदन बैंक खाते में स्थानांतरित कर दी थी. भारत समर्थक निजाम के वंशजों का दावा है कि इस पर उनका अधिकार है और पाकिस्तान का दावा सही नहीं है.

पढ़ें : भारत या पाकिस्तान: किसे मिलेंगे हैदराबाद निजाम के 308 करोड़ रुपये ?

अपनी मौत से दो साल पहले ही 1965 में निजाम ने उन पैसों को भारत को लिखित रूप में सुपुर्द करने की बात कही थी, जबकि पाकिस्तान उससे भी लगभग दो दशक पहले संभालकर रखने के लिए दी गई उस रकम पर अपना दावा जताने पर लगा हुआ है.

बता दें कि अक्टूबर, 2019 में सातवें निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान बहादुर के पौत्र तथा निजाम परिवार कल्याण संघ के अध्यक्ष नवाब नजफ अली खान ने कहा कि करीब 120 परिजन हैं, जिनकी इस धन में हिस्सेदारी है. वह सब धन के बंटवारे को लेकर बातचीत करेंगे तथा फैसला करेंगे. नजफ अली ने के मुताबिक प्रिंस मुकर्रम जाह वर्तमान में इंस्तांबुल में रहते हैं, जबकि उनके भाई मुफ्फकम जाह लंदन में हैं.

पढ़ें :निजाम के धन पर करीब 120 वंशजों का दावा: निजाम के पौत्र

अक्टूबर, 2019 में ब्रिटिश कोर्ट के फैसले के बाद नवाब नजफ अली ने कहा था कि उन्होंने 2008 में पाकिस्तान के साथ अदालत के बाहर समझौते का प्रयास किया था लेकिन पड़ोसी देश ने कोई जवाब नहीं दिया.

Last Updated : Jul 23, 2020, 5:54 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details