नॉटिंघम/ब्रिटेन : टीके कोरोना वायरस के नए स्वरूपों से कितनी अच्छी तरह रक्षा करते हैं? यह एक प्रश्न है जिसका जवाब हम नॉटिंघम में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का एक समूह इस साल की शुरुआत से देने की तैयारी कर रहे थे. महामारी के दौरान कई नर्सों और डॉक्टरों से रक्त के नमूने एकत्र किए और हमने पहली लहर के चरम पर, अप्रैल 2020 में यह देखने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों से रक्त लेना शुरू किया कि उनमें से कितने कोरोना वायरस से संक्रमित थे और उनकी एंटीबॉडी का स्तर क्या था.
हमने गर्मियों में और फिर शरद ऋतु में भी उनसे संपर्क बनाए रखा, इसलिए हमें पता था कि वास्तव में किसको कोविड हुआ और कब फिर हमने उनमें से एक समूह को टीके की अपनी पहली और दूसरी खुराक प्राप्त करने के बाद हमें रक्त के नमूने देने के लिए कहा.
हमने प्रत्येक खुराक के बाद उनकी एंटीबॉडी के स्तरों को मापा और खासकर वायरस को बेअसर करने वाले एंटीबॉडीज के स्तर को और हमने इन नमूनों को भी अपने पास रखा था ताकि हम भविष्य में यह परीक्षण कर सकें कि टीकाकरण से बनी एंटीबॉडी ने कोरोना वायरस के उन स्वरूपों को कितने बेहतर तरीके से बेअसर किया है जिन्हें प्रतिभागियों ने नहीं देखा था.
हमने बाद में वुहान में पहचाने गए वायरस के मूल रूप के साथ-साथ बीटा (बी1351) और गामा (पी1) स्वरूपों के खिलाफ एंटीबॉडी की गतिविधि मापी. सुरक्षा मापने के लिए जांच का तरीका निष्प्रभावी करने वाली एंटीबॉडी एक वायरस से इस तरह से जुड़ जाती है. जो इसे कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोकता है.
कोरोना वायरस पर किया गया रिसर्च
कोरोना वायरस के किसी प्रकार को बेअसर करने का एंटीबॉडी का स्तर जितना अधिक होगा, उतनी ही कम संभावना होगी कि कोई व्यक्ति संक्रमित होगा या उस स्वरूप से उसे गंभीर कोविड-19 होगा.हमारे प्रयोगों में हमने सीधे तौर पर एक अतिरिक्त टीके की खुराक के प्रभाव का अध्ययन नहीं किया, लेकिन हमारे परिणाम बताते हैं कि आम तौर पर फैल रहे चिंताजनक विभिन्न स्वरूपों के लिए प्रतिरक्षा के स्तर में वृद्धि की संभावना है.
सामान्य रूप से वायरस के लिए प्रत्येक अतिरिक्त जोखिम चाहे टीकाकरण या संक्रमण द्वारा हो ऐसा मालूम होता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली की इसे पहचानने की क्षमता का विस्तार होता है, जिससे भविष्य में वायरस के किसी भी स्वरूप के खिलाफ एक व्यक्ति के शरीर में मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखाने की अधिक संभावना होती है.
बूस्टरों की वकालत?वर्तमान में इस बात पर काफी चर्चा चल रही है कि वैश्विक टीका आपूर्ति का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए. क्या अतिरिक्त खुराक का उपयोग उन कुछ लोगों की बेहतर सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए जो पहले से ही पूर्ण टीकाकरण करवा चुके हैं, या अधिक समान वितरण होना चाहिए, ताकि दुनिया भर में बुनियादी टीका कवरेज को व्यापक रूप से विस्तारित किया जा सके.एक ओर, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के एक हालिया जनसंख्या अध्ययन में पाया गया कि एस्ट्राजेनेका या फाइजर टीके की दो खुराक प्राप्त करने से अब प्रमुख डेल्टा स्वरूप (बी 16172) के कारण होने वाली बीमारी के खिलाफ उच्च स्तर की सुरक्षा मिलती है। यह सुझाव देता है कि बूस्टर खुराक की आवश्यकता नहीं है.कम से कम शुरुआत में तो नहीं और इस बात के भी सबूत उभर रहे हैं (जिनकी अन्य वैज्ञानिकों द्वारा समीक्षा की प्रतीक्षा की जा रही है) कि डेल्टा से प्राकृतिक संक्रमण, वर्तमान में टीकों द्वारा दी जा रही सुरक्षा की तुलना में अधिक मजबूत सुरक्षा दे सकता है.
यह दिखाता है कि जिन्हें पहले ही डेल्टा स्वरूप का संक्रमण हो चुका है वह फिलहाल ज्यादा सुरक्षित हैं.दूसरी ओर, हम जानते हैं कि कुछ स्वरूप जैसे डेल्टा और बीटा टीकों द्वारा कम अच्छी तरह से नियंत्रित होते हैं और इस बात के भी उभरते प्रमाण हैं कि कोविड-19 टीकों द्वारा उत्पन्न प्रतिरक्षा समय के साथ कम हो जाती है.इन चुनौतियों को देखते हुए, हमारा आंकड़ा बताता है कि एक अतिरिक्त टीके की खुराक से प्रतिरक्षा के स्तर में लाभ होने की संभावना है. विशेष रूप से वायरस के चिंताजनक स्वरूपों के खिलाफ इसलिए अतिरिक्त खुराक देना स्वास्थ्य एवं देखभाल संरचनाओं में संक्रमण एवं प्रसार को कम करने और विशेष रूप से कमजोर लोगों को गंभीर बीमारी से बचाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
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(पीटीआई-भाषा)