लंदन : जब कोविड-19 महामारी फैली तो जल्द ही यह साफ हो गया कि बुजुर्ग लोगों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने का खतरा अधिक है. निश्चित तौर पर कुछ बीमारियां हैं जिनके लिए उम्र स्पष्ट तौर पर जोखिम की बड़ी वजह है.
एनएचएस (नेशनल हैल्थ सर्विस) के डॉक्टरों ने रोज यह देखा. ब्रिटेन में कोरोना वायरस से 1,31,000 से अधिक लोगों की मौत हुई लेकिन शुरुआती अनुसंधानों से पता चलता है कि कोविड-19 या उससे संबंधित स्थितियों से बहुत कम बच्चों की मौत हुई. नतीजतन बच्चों को कम जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया.
हालांकि, अब जैसे-जैसे आम सहमति बढ़ रही है कि यह वायरस खत्म हो जाएगा और अमीर देशों में सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों का टीकाकरण हो गया है, ऐसे में अब यह सवाल अहम हो गया है कि कोविड-19 बच्चों पर कैसे असर डालता है.
ज्यादातर बच्चे जल्द ही उबर जाते हैं
हम कोविड लक्षण अध्ययन के आंकड़ों का इस्तेमाल कर बच्चों में बीमारी को देखते हैं. हमने उन बच्चों का विश्लेषण किया जो संक्रमित पाए गए, जिनमें कोविड-19 के गंभीर लक्षण पाए गए और जिनमें बीमारी शुरू होने के बाद कम से कम 28 दिनों तक नियमित तौर पर लक्षण पाए गए.
हमने पाया कि कोविड-19 से संक्रमित ज्यादातर बच्चों में सिर में दर्द, थकान, बुखार और गले में सूजन जैसे लक्षण पाए गए. वे जल्द ही स्वस्थ हो गए और औसतन छह दिन तक बीमार रहे. 4.4 प्रतिशत बच्चों में बीमारी के लक्षण 28 दिन या उससे अधिक पाए गए. बड़े बच्चों में यह दर थोड़ी अधिक 5.1 प्रतिशत और छोटे बच्चों में 3.1 प्रतिशत पाई गई. हालांकि लगभग सभी बच्चे (98.4 प्रतिशत) आठ हफ्तों तक स्वस्थ हो गए. इससे यह पता चलता है कि वयस्कों के मुकाबले बच्चों में इस बीमारी के लक्षण कम वक्त तक रहते हैं.
सबसे अहम बात यह रही कि इन बच्चों में लंबे समय तक बीमार रहने के साथ ही लक्षणों की संख्या समय के साथ नहीं बढ़ी. बीमारी के पहले हफ्ते में उनमें औसतन छह अलग अलग लक्षण रहे लेकिन 28 दिन बाद औसतन महज दो लक्षण दिखायी दिए. सबसे आम लक्षण थकान, सिर में दर्द, सूंघने की क्षमता खोना और गले में सूजन रहे जिनमें से पहले तीन लक्षण अधिक समय तक रहने की संभावना है.
हमने कोविड लक्षण अध्ययन एप द्वारा उन लक्षणों के बारे में उठे सीधे सवालों के जवाब पर गौर किया जिससे बच्चों की सीखने की क्षमता प्रभावित हो सकती थी जैसे कि ब्रेन फॉग, चक्कर आना, भ्रम की स्थिति और अवसाद. छोटी उम्र के नौ प्रतिशत और बड़ी उम्र के 20 प्रतिशत बच्चों में ब्रेन फॉग की समस्या देखी गयी. छोटी उम्र के 14 प्रतिशत तथा बड़ी उम्र के 26 प्रतिशत बच्चों को चक्कर आने की समस्या हुई. कम उम्र के आठ प्रतिशत और अधिक उम्र के 16 प्रतिशत बच्चों में अवसाद देखा गया.