लंदन : ब्रिटिश सरकार कोरोना वायरस के संक्रमण और मौतों को रोकने के लिए पिछले महीने से लागू तीन हफ्ते के सामाजिक दूरी के नियम को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है. ब्रिटेन में अब तक कोविड-19 से 12,868 लोगों की मौत हो चुकी है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कोरोना वायरस संक्रमित होने के बाद उनका कार्यभार देख रहे विदेशमंत्री डोमिनिक राब कैबिनेट ऑफिस ब्रीफिंग रूम (कोबरा) की बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें मंत्रिमंडल लॉकडाउन बढ़ाने पर अंतिम फैसला लेगा.
मंत्रियों ने इस हफ्ते डाउनिंग स्ट्रीट पर मीडिया से बातचीत में संकेत दिया है कि और तीन हफ्ते के लिए लॉकडाउन बढ़ाना अपरिहार्य है.
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा, 'हम देख रहे हैं कि महामारी चरम पर पहुंच गई है. यह अच्छी खबर है. लेकिन हम देख रहे हैं कि संक्रमितों की संख्या कम नहीं हो रही है. इसलिए हम बदलाव नहीं कर सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'अगर हम सभी पाबंदियों को अभी हटा देते हैं तो यह वायरस और तेजी से फैलेगा.'
लॉकडाउन को आगे बढ़ाने पर चर्चा करने के लिए हैनकॉक मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स के प्रथम मंत्रियों के साथ आज बैठक करेंगे.'
स्कॉटलैंड और वेल्स ने पहले ही संकेत दिया है कि सामाजिक दूरी के नियम नहीं हटाए जाएंगे, जबकि उत्तरी आयरलैंड पहले ही लॉकडाउन को नौ मई तक बढ़ाने की घोषणा कर चुका है.
विपक्षी लेबर पार्टी ने लॉकडाउन को बढ़ाने का समर्थन करने का प्रस्ताव किया है लेकिन साथ ही सरकार पर इन कठोर कदमों से निकलने और देश को इस परिस्थिति से निकालने की योजना पेश करने के लिए दबाव डाल रही है.
राब को लिखी चिट्ठी में लेबर पार्टी के नेता कियर स्टारमेर ने कहा कि लाखों ब्रिटिश नागरिक नियमों का पालन कर रहे हैं लेकिन वह भविष्य की स्पष्ट तस्वीर चाहते हैं. स्टारमेर ने सरकार से लॉकडाउन नीति प्रकाशित करने की मांग की क्योंकि जनता का भरोसा कायम रखने के लिए पारदर्शिता सबसे बेहतर तरीका है.
उन्होंने कहा, 'अगर हमें सहमति मिलती है कि यह सही रणनीति है तो मेरा मानना है इससे जनता को भी भरोसा होगा.'
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने 23 मार्च को टेलीविजन से दिए संदेश में आपात व्यवस्था के तहत लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसके तहत लोगों को घरों में ही रहने को कहा गया था और आवश्यक काम के लिए समिति आवाजाही की अनुमति दी गई थी.
कानून के मुताबिक प्रत्येक तीन हफ्ते पर मंत्रियों को वैज्ञानिक सलाह के आधार पर यह समीक्षा करनी होती है कि नियम काम कर रहे हैं या नहीं.