लंदन : चीन के शहर वुहान से कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला साल 2019 के अंत में सामने आया था. इसके बाद धीरे-धीरे इस संक्रमण की चपेट में दुनिया के 180 से अधिक देश आ चुके हैं. अमेरिका में कोरोना संक्रमण का कहर सबसे अधिक देखा गया है. इसके अलावा कई यूरोपीय देशों में भी कोरोना महामारी के कारण लाखों लोगों ने जानें गंवाई. ब्रिटेन भी कोरोना प्रभावित ऐसे देशों की सूची में शामिल रहा है.
दरअसल, भले ही वर्ष 2020 कोरोना वायरस महामारी की भेंट चढ़ गया हो, लेकिन कोविड-19 टीकों ने उम्मीद की किरण दिखाई कि अगला साल लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ्य लेकर आएगा. इनमें से एक टीका भारत और ब्रिटेन के संबंधों के वास्तव में मजबूत होने का प्रतीक बन गया है.
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने दिसंबर में अपनी भारत यात्रा के दौरान कहा, सीरम इंस्टीट्यूट और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के बीच साझेदारी ब्रिटेन और भारत के संबंधों का प्रतीक है. एक ऐसा टीका, जो ब्रिटेन में विकसित किया गया और भारत में बनाया गया, जिसके लिए लोगों की जान बचाने की खातिर हमारे सबसे तेज दिमागों ने मिलकर काम किया.
राब ने ऐसे समय में भारत की यात्रा की, जब संक्रमण के कारण डिजिटल मुलाकात को ही तरजीह दी रही है. ब्रेक्जिट के मद्देनजर राब की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम है.
ऑक्सफोर्ड को टीकाकरण के लिए अभी नियामक की मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन ब्रिटेन में कोविड-19 से निपटने के लिए फाइजर/बॉयोएनटेक का टीका आठ दिसंबर से लगना आरंभ हो गया.
उत्तरी आयरलैंड की 90 साल की मार्गरेट 'मैगी' कीनान कोविड-19 से बचाव के लिए फाइजर/बायोएनटेक द्वारा निर्मित टीका लगवाने वाली दुनिया की पहली व्यक्ति बनीं और इसी के साथ ब्रिटेन के इतिहास के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत भी हो गई.
इसके साथ ही उत्तर-पूर्वी इंग्लैंड के भारतीय मूल के 87 वर्षीय डॉ हरि शुक्ला और उनकी 83 वर्षीय पत्नी रंजन दुनिया में भारतीय मूल के पहले दंपति बने, जिन्हें कोविड-19 का टीका दिया गया. इस टीकाकरण अभियान ने संकटग्रस्त रहे इस साल के समापन की शुरुआत का संकेत दिया.