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ब्रिटेन में लॉकडाउन को और कड़ा किया जा सकता है : पीएम जॉनसन

ब्रिटेन कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से जूझ रहा है. इस बीच ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि आगामी हफ्तों में लोगों के लिए कड़े प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. हालांकि, उन्होंने बच्चों को स्कूल भेजने को कहा है. उनका कहना है कि बच्चों को कोरोना वायरस से खतरा काफी कम है.

British pm
बोरिस जॉनसन

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Published : Jan 3, 2021, 10:44 PM IST

लंदन : ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को चेतावनी दी कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए वर्तमान प्रतिबंधों को और कड़ा किया जा सकता है, क्योंकि देश कोरोना वायरस के नए प्रारूप (स्ट्रेन) से जूझ रहा है.

वायरस के नए प्रारूप के तेजी से फैलने के कारण शिक्षक संगठन कुछ हफ्ते के लिए देशभर में सभी स्कूलों को बंद करने की अपील कर रहे हैं. जॉनसन ने कहा कि अभिभावकों को सोमवार से अपने बच्चों को उन इलाकों के स्कूलों में भेजना चाहिए, जहां वे खुले हुए हैं क्योंकि खतरनाक वायरस से बच्चों को खतरा काफी कम है.

ब्रिटेन में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या में इस सप्ताहांत 57,725 की वृद्धि हुई. वहीं मृतकों की कुल संख्या बढ़कर करीब 75,000 हो गई है.

लॉकडाउन के बारे में पूछे जाने पर जॉनसन ने कहा कि प्रतिबंध और कड़े हो सकते हैं. उन्होंने कहा, 'ऐसा हो सकता है कि अगले कुछ हफ्तों में हमें चीजों को और कड़ा करना होगा. मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं. मेरा मानना है कि पूरा देश इससे सहमत है. हमें कई कड़े उपाय करने होंगे.'

उन्होंने कहा, 'स्कूल सुरक्षित हैं. बच्चों को बहुत कम खतरा है. कर्मचारियों को बहुत कम खतरा है. शिक्षा के लाभ बहुत ज्यादा हैं.'

वर्तमान नियमों के तहत देश के अधिकतर हिस्सों में श्रेणी चार के कड़े उपाय लागू हैं, जिसमें अधिकतर व्यावसायिक एवं गैर आवश्यक दुकानें लगभग पूरी तरह बंद हैं. लोगों के अस्पतालों में भर्ती होने की संख्या ज्यादा बढ़ने के कारण सरकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा काफी दबाव में है.

पढ़ें- ब्रिटेन में कोविड संक्रमण का बढ़ा खतरा, लंदन में स्कूल बंद

महामारी से निपटने का बचाव करते हुए जॉनसन ने कहा कि उनकी सरकार ने ऐसे सभी उपयुक्त कदम उठाए हैं, जो हम सर्दी के महीनों की तैयारी के लिए कर सकते थे.

बता दें कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन खुद कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और उन्हें इससे उबरने में कुछ हफ्ते लग गए थे.

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