लंदन :भारत के पूर्व रक्षा मंत्री वी के कृष्ण मेनन की यहां 125वीं जयंती मनाई गई और वक्ताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को याद किया.
नेहरू सेंटर लंदन ने वी के कृष्ण मेनन इंस्टिट्यूट के सहयोग से डिजिटल तरीके से इस कार्यक्रम का आयोजन किया.
वी के कृष्ण मेनन इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ. सिरियाक मैप्रायिल ने कहा, भारतीय मूल के लोग और भारत के मित्र गांधी जी, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और डॉ. बी आर आंबेडकर जैसे नेताओं के बलिदान को याद करते हैं, लेकिन हम भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के अंतिम चरण में कृष्ण मेनन द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को भूल जाते हैं.
पूर्व मंत्री सर पीटर लॉयड ने कहा कि मेनन भारत के सबसे उत्कृष्ट एवं सफल राजनयिक रहे.
इंडियन पार्टनरशिप फोरम यूके के संस्थापक, अध्यक्ष डॉ. मोहन कौल ने कहा कि कश्मीर विवाद से संबंधित प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र में मेनन द्वारा निभाई गई भूमिका को हमेशा याद रखा जाएगा.
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उन्होंने याद किया, लंबे भाषण ने पाकिस्तान के मामले को बेकार कर दिया और सोवियत संघ का (भारत को) समर्थन मिला. उस समय पश्चिमी देश पाकिस्तान की दलील के पक्ष में थे. हालांकि उस भाषण के बाद अपनी दलील के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की पाकिस्तान की सभी उम्मीदें पूरी धूमिल हो गईं. सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव को वीटो कर दिया.
कौल ने कहा कि 160 पृष्ठ का वह भाषण दो दिन से अधिक समय तक चला था और इस दौरान बीच में मेनन की तबियत खराब हो गई तथा उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. भाषण एक अटूट रिकॉर्ड है जिसका जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए सर्वाधिक महत्व है.