लंदन : बच्चों के व्यवहार में सुधार लाने के लिए उन्हें थप्पड़ मारना या पीटना समस्या का हल नहीं होता है लेकिन एक नई समस्या खड़ी जरूर कर देता है. ऐसा करने से बच्चों के व्यवहार पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
यह बात यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) और विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के अध्ययन में निकलकर सामने आई है, जिसने इस मुद्दे पर 20 साल के अध्ययन का विश्लेषण किया.
यह अध्ययन 'द लासेंट' जर्नल में प्रकाशित हुई और इसमें दुनिया भर के उन 69 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया, जिसमें बच्चों पर एक अरसे तक नज़र रखी गई और शारीरिक दंड और उससे उपजे परिणामों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया.
ऐसा कहा गया कि दुनिया भर में दो से चार साल उम्र के दो तिहाई (63 फीसदी) करीब 25 करोड़ बच्चे अपने अभिभावकों या देखरेख करने वालों के द्वारा शारीरिक दंड का सामना करते हैं.
इस समीक्षा अध्ययन की मुख्य लेखिका और यूसीएल की महामारी विज्ञान एवं लोक स्वास्थ्य की डॉक्टर अंजा हेलेन ने बताया, शारीरिक दंड देना अप्रभावी और नुकसानदेह है तथा इससे बच्चों और उनके परिवार को कोई लाभ नहीं मिलता है.
उन्होंने कहा, हम शारीरिक दंड और व्यवहार संबंधी दिक्कतों जैसे कि आक्रामकता के बीच एक संबंध देखते हैं. शारीरिक दंड देने से बच्चों में लगातार इस तरह की व्यवहार संबंधी परेशानियां बढ़ने का अनुमान रहता है.