कोलंबो : भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों के लिहाज से साल 2020 काफी महत्वपूर्ण रहा. इस वर्ष छह साल के अंतराल के बाद दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय वार्ता के जरिए समुद्री मुद्दों पर बातचीत हुई.
श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के सत्ता पर काबिज होने के बाद दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के प्रगाढ़ होने की उम्मीदें जगी थीं, लेकिन कुछ ही समय बाद मार्च के मध्य में कोविड-19 महामारी फैलने के साथ ही श्रीलंका बुरे वित्तीय संकट में फंस गया.
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के प्रशासन ने श्रीलंका की 'पहले-भारत' की नीति को रेखांकित किया, जो भारत की 'पहले पड़ोसी' की नीति से मेल खाती है. श्रीलंका ने अपनी इस नीति के जरिए भारत के साथ संपर्क बढ़ाने की कोशिशें कीं.
महिंदा राजपक्षे अपने छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर फरवरी में भारत आए थे. इससे कुछ हफ्ते पहले नवंबर 2019 में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका की बागडोर संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा पर भारत आए थे. उनकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका को आतंकवाद से लड़ने के लिए पांच करोड़ अमेरिकी डॉलर समेत कुल 45 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की थी.
इस साल अगस्त में आम चुनाव में जीत हासिल करने वाले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सितंबर में अपने भारतीय समकक्ष के साथ 'बेहद सफल' डिजिटल वार्ता की, जिसमें उन्होंने महामारी से लड़ने समेत कई क्षेत्रों में श्रीलंका को मदद देने के लिए मोदी की सराहना की.