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'याबा' की चपेट में बांग्लादेश, कई युवाओं की मौत, जानिए क्या है 'याबा'

बांग्लादेश में याबा का उपयोग करने से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है. सरकार इसके इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठा रही है. देश के कई युवाओं सहित कुछ पुलिस कर्मियों को भी इसने अपनी चपेट में ले लिया है. जानिए आखिर क्या है ये जानलेवा 'याबा.' पढ़े पूरी खबर...

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Published : Apr 28, 2019, 10:18 AM IST

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हैदराबाद: याबा का सेवन करने से कई लोगों की मौत हो चुकी है. कितने ही लोग इसकी वजह से बीमारियों का शिकार हो गए और कई लोगों का जीवन से लेकर करियर तक बर्बाद हो चुका है. याबा, एक गुलाबी रंग की टैबलेट है, जिसका इस्तेमाल करने से लोग मौत को खुद दावत दे रहे हैं.

आपको बता दें, बांग्लादेश में 2006 से लोग इसका उपयोग कर रहे हैं. हालांकि, पुलिस और कई सीमा बल इसके प्रसार को रोकने में जुटे हैं लेकिन उनके हाथ सिर्फ विफलता ही लगी है.

बांग्लादेश में याबा को इसके नाम से शायद ही पुकारा जाता है. लेकिन इसके कई उपनाम हैं जैसे लाल, बोरी, खॉन, गोली और गुटी.

गौरतलब है कि सत्तर के दशक की शुरुआत में इसका इस्तेमाल थाइलैंड में कानूनी तौर पर किया गया था. लेकिन बाद में इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए इस दवा पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

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अहम बात है कि याबा पहले कुछ दिनों के लिए उपयोगकर्ता के लिए बहुत फायदेमंद है. याबा के लेने वाले को बहुत ऊर्जा मिलती है और हर जगह व्यक्ति का प्रदर्शन बढ़ जाता है.

इसका पहले संकेत नहीं मिलता की कोई व्यक्ति इसका सेवन कर रहा है या नहीं लेकिन बाद में इसका प्रभाव दिखाई देने लगता है और फिर व्यक्ति इस पर इतना निर्भर हो जाता है कि इसके सेवन के बिना नहीं रह सकता है. ये दवा अन्य खतरनाक पदार्थ जैसे एलएसडी और हिरोइन की तरह की काम करता है.

इसके नशे की लत से गुर्दे, दिल, जिगर, मस्तिष्क सभी पूरी तरह बर्बाद हो जाते हैं. बता दें, आज लाखों बांग्लादेशी युवकों के साथ-साथ कुछ पुलिस कर्मी भी याबा का सेवन कर रहे हैं.

यह दवा आसानी से उपलब्ध है और काफी सस्ती है. इसका सेवन रोकने के लिए सरकार नशे, आपूर्तिकर्ताओं, डीलरों और दवा से जुड़े लोंगो पर कारवाई कर रही है.

पुलिस का दावा है कि आत्मसमर्पण ने इस दवा के उपयोग को काफी कम कर दिया है. जिससे कई समस्याएं दूर हैं. पुलिस का कहना है कि सबसे कठिन समस्या गांवों और कस्बों में याबा की बिक्री या आपूर्ति को रोकना है.

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