हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि मां के दूध के विकल्प के प्रचार-प्रसार को रोकने के प्रयासों के बावजूद, अभिभावकों को भ्रामक जानकारी से बचाने में कई देश अब भी बहुत पीछे हैं.
कोरोना जैसी महामारी ने मां के दूध के विकल्प के झूठे दावों के खिलाफ मजबूत कानून की जरूरत पर प्रकाश डाला है. मां का दूध बच्चे के जीवन के लिए अहम है, क्योंकि यह बच्चों को एंटाबॉडी प्रदान करता है और उन्हें कई तरह की बीमारियों से बचाता है.
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ कोरोना महामारी के दौरान महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मां के दूध से संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है. कोरोना वायरस से संक्रमित मां या जिनमें इसके लक्षण हैं, वह भी अपने बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं.
इसके साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बच्चों को स्तनपान नहीं कराया जाता, उनकी मौत का खतरा स्तनपान करने वाले बच्चों की तुलना में 14 गुना बढ़ जाता है. इस स्थिति में मांओं को कोरोना वायरस के डर से बच्चों को स्तनपान कराना बंद नहीं करना चाहिए, वरना यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.
स्तनपान के हैं कई फायदे
शिशु के लिए स्तनपान के कई फायदे हैं, जो कोरोना और उससे जुड़ी अन्य बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम कर देते हैं. इससे परे अगर बाजार का दूध शिशु को दिया जाए, तो वह काफी हद तक असुरक्षित माना जाता है.
अहम है स्तनपान
स्तनपान को लेकर आज के समय में भी लोग जागरूक नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सिर्फ 41 प्रतिशत बच्चों को ही छह महीने तक स्तनपान कराया जाता है.