यंगून :म्यांमार की राजधानी में तख्तापलट करने वाली सेना से सत्ता को फिर से चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथ में सौंपने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने सोमवार को पानी की बौछार छोड़ी. वहीं, पिछले हफ्ते हुए तख्तापलट के विरोध में देश के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शन तेज होता दिख रहा है.
नेपीता में बीते कुछ दिनों से प्रदर्शन जारी है और यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां कई नौकरशाह और उनके परिवार के लोग रहते हैं तथा शहर में प्रदर्शनों की कोई परंपरा नहीं रही है. यहां आम दिनों में भी काफी सैन्य जमावड़ा होता है.
देश के सबसे बड़े शहर यंगून के प्रमुख चौराहों पर भी प्रदर्शनकारी काफी संख्या में जुटे. यंगून में सुबह प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, और प्रतिरोध की प्रतीक तीन उंगलियों से सलामी दी. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सैन्य तख्तापलट का बहिष्कार तथा म्यांमार के लिए न्याय लिखी हुई तख्तियां दिखाते हुए विरोध व्यक्त किया.
उत्तर में स्थित कचिन राज्य, दक्षिण पूर्व में मोन राज्य, पूर्वी राज्य शान के सीमावर्ती शहर ताचिलेक, नेपीता और मंडाले में सोमवार को विरोध प्रदर्शन के नए मामले सामने आए हैं. यहां लोगों ने तख्ता पलट के विरोध मार्च और बाइक रैली निकाली.
यंगून में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हम सैन्य जुंटा नहीं चाहते. हम कभी भी यह जुंटा नहीं चाहते थे. कोई इसे नहीं चाहता. सभी लोग उनसे लड़ने के लिए तैयार हैं.
सरकारी मीडिया ने सोमवार को पहली बार प्रदर्शनों का जिक्र किया और उनके देश की स्थिरता के लिए खतरा होने का दावा किया.
सरकारी टीवी स्टेशन एमआरटीवी पर पढ़े गए सूचना मंत्रालय के बयान के मुताबिक, अगर कोई अनुशासन नहीं होगा तो लोकतंत्र बर्बाद हो सकता है.
इसमें कहा गया, देश की स्थिरता, लोक सुरक्षा और कानून का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को रोकने के लिए हमें विधिक कार्रवाई करनी होगी.
इस तख्तापलट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर म्यांमार के लिए स्तब्धकारी झटके के तौर पर देखा गया जो पांच दशकों के सैन्य शासन के बाद हाल के वर्षों में लोकतंत्र की दिशा में प्रगति कर रहा था. यह तख्तापलट ऐसे समय हुआ है जब नवंबर में हुए चुनावों के बाद नए सांसदों को संसद में अपनी सीट लेनी थी. सेना के जनरलों का आरोप है कि चुनावों में धांधली हुई है यद्यपि देश के निर्वाचन आयोग ने इन दावों को खारिज किया है.
बढ़ते विरोध प्रदर्शनों ने दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश में लोकतंत्र के लिए लंबे और खूनी संघर्ष की यादें ताजा कर दीं.
रविवार को हजारों प्रदर्शनकारी शहर के सुले पैगोडा में जुटे जो 1988 के विद्रोह और उसके बाद 2007 में बौद्ध भिक्षुओं के नेतृत्व वाले विद्रोह के दौरान सैन्य शासन के खिलाफ प्रदर्शन का प्रमुख केंद्र रहा था.