काबुल: अफगानिस्तान के लोगों ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान किया. वहीं तालिबानी संगठन ने चुनाव के दौरान देश भर में कई जगहों पर मतदान केन्द्रों को निशाना बनाकर विस्फोट किए.
अधिकारियों ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में चुनाव के दौरान हुए विस्फोटों में कम से कम पांच सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं जबकि 37 असैन्य नागरिक घायल हुए हैं.
वैसे तो चुनाव में कई उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन असली मुकाबला राष्ट्रपति अशरफ गनी और देश के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बीच है.
चुनाव के मौके पर काबुल में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी है, सड़कों पर सुरक्षा बल तैनात हैं, ट्रकों के शहर में प्रवेश पर प्रतिबंध है ताकि किसी भी तरीके से आत्मघाती हमलावरों को रोका जा सके.
दो महीने के चुनावी कार्यक्रम के दौरान कई हमले करने वाले तालिबान का दावा है कि उसने इस ‘फर्जी चुनाव’ के खिलाफ सैकड़ों हमले किए हैं.
अधिकारियों ने बताया कि हमलों में पांच सुरक्षा अधिकारी मारे गए हैं जबकि 37 असैन्य नागरिक घायल हुए हैं.
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रक्षा मंत्री असदुल्ला खालिद ने बताया कि दुश्मनों ने देश भर में चुनाव के खिलाफ 68 हमले किए हैं. लेकिन सुरक्षा बलों ने ज्यादातर हमलों को विफल कर दिया.
पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार के चुनाव में अभी तक मरने और घायल होने वालों की संख्या काफी कम रही है.
काबुल हाई स्कूल में वोट डालने के बाद गनी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा एक ऐसा नेता खोजना है जिसके पास युद्ध से जर्जर देश में शांति लाने का जनादेश हो.
दूसरी बार राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल गनी का कहना है कि शांति के लिए हमारा खाका तैयार है और मैं चाहता हूं कि जनता हमें शांति लाने की अनुमति और आदेश दे.
अफगानिस्तान में करीब 96 लाख पंजीकृत मतदाता हैं, लेकिन कई लोगों ने 18 साल तक चले युद्ध के बाद किसी भी सरकार के यहां हालात बेहतर कर पाने की उम्मीद खो दी है.
चुनाव के नतीजे 19 अक्टूबर तक आने की संभावना है. जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने होंगे. अगर ऐसा नहीं होता है तो शीर्ष के दो स्थानों पर रहने वाले उम्मीदवारों के बीच नवम्बर में फिर मतदान कराया जाएगा.