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हांगकांग की वैज्ञानिक का दावा, चीन ने कोरोना की जानकारी छिपाई - virologist from hong kong

हांगकांग की एक वैज्ञानिक ने खुलासा किया है कि चीन को कोरोना वायरस के बारे में पहले से जानकारी थी और उसने जानबूझकर इस जानकारी को छिपाया. साथ ही वायरस के खतरनाक होने या जानलेवा होने के संकेत की कोई जानकारी चीन से बाहर निकलने नहीं दी गई.

चीन ने जानबूझकर कोरोना की जानकारी छिपाई - यान
चीन ने जानबूझकर कोरोना की जानकारी छिपाई - यान

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Published : Jul 11, 2020, 9:52 PM IST

हांगकांग : ऐसे समय में जब कोरोना वायरस से दुनियाभर में 12 मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, हांगकांग की एक वैज्ञानिक ने खुलासा किया है कि चीन को इस घातक वायरस के बारे में पहले से ही जानकारी थी और उसने समय पर दुनिया को नहीं बताया. वैज्ञानिक का कहना है कि चीन की सरकार ने इस वायरस को जितना ज्यादा हो सका दुनिया से छिपाने की कोशिश की. साथ ही वायरस के खतरनाक होने या जानलेवा होने के संकेत की कोई जानकारी चीन से बाहर निकलने नहीं दी.

फॉक्स न्यूज को दिए विशेष साक्षात्कार में हांगकांग की वैज्ञानिक ली-मेंग यान ने कहा कि चीन का यह दायित्व था कि वह दुनिया से कोरोना वायरस के बारे में जानकारी साझा करता.

वायरोलॉजी और इम्यूनोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त यान ने यह भी कहा कि वह महामारी की शुरुआत में कोरोना पर शोध कर रही थीं. उनके सीनियर्स जिनमें से कुछ इस फील्ड के जाने-माने विशेषज्ञ हैं उन्होंने उनके शोध को नकार दिया. यान का कहना है कि वह मानती हैं कि उनका यह शोध कई जिंदगियां बचा सकता था.

यान कहती हैं कि वह कोविड-19 का अध्ययन करने वाली दुनिया की पहली वैज्ञानिकों में से एक थीं. उन्होंने कहा कि उनके पर्यवेक्षक डॉ. लियो पून ने उनसे कहा था कि तुम दिसंबर 2019 के अंत में चीन से आने वाले एसएआरएस (कोरोना वायरस) के मामलों को देखो. उन्होंने कहा कि चीनी सरकार ने चीन में शोध करने के लिए हांगकांग सहित विदेशी विशेषज्ञों को आने से मना कर दिया.

यान ने कहा कि वह और उनके सहयोगी इस अजीबोगरीब वायरस के बारे में खुलकर चर्चा कर रहे थे लेकिन जल्द ही उसने उनकी चर्चा में बदलाव देखा. अब चर्चा खुलकर नहीं बल्कि गुपचुप तरीके से हो रही थी. वुहान शहर को हर तरफ से बंद कर दिया गया और वुहान के लोगों को चेतावनी दी गई कि इस महामारी के बारे में कोई बात न करे.

यान ने बताया कि डॉक्टरों ने हमसे कहा कि हम इसके बारे में बात नहीं कर सकते, लेकिन हमें मास्क पहनने की जरूरत है. मानव से मानव में तेजी से इसका संक्रमण होने लगा था.

यान ने चीन छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने अपना बैग पैक किया और गुपचुप तरीके से कैंपस से बाहर निकली और 28 अप्रैल को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए फ्लाइट में सवार हुईं. उनके पास उनका पासपोर्ट और पर्स था. वह अपने सभी प्रियजनों को छोड़ने वाली थीं. वह जानती थीं कि अगर वह पकड़ी गईं तो उन्हें जेल में डाल दिया जाएगा या फिर उन्हें गुमशुदा लोगों की लिस्ट में शामिल कर दिया जाता. यान अभी गुपचुप तरीके से रह रहीं हैं.

उनका कहना है कि चीनी सरकार ने साइबर अटैक के जरिए उनकी निजता की धज्जियां उड़ा दी हैं और उन्हें डरा रही है ताकि वह चीनी सरकार के खिलाफ बयान देना बंद कर दें.

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यान ने मीडिया को बताया कि हांगकांग सरकार ने उसके गृहनगर किंगदाओ में उनके अपार्टमेंट में घुसकर तोड़फोड़ की और उनके माता-पिता से उनके बारे में पूछताछ की गई. जब यान ने अपने माता-पिता से बात की तो उन्होंने यान से घर वापस आने को कहा और कहा कि वह चीनी सरकार के खिलाफ लड़ाई बंद कर दे.

यान का मानना ​​है कि उनका जीवन अभी भी खतरे में है. उसे डर है कि वह कभी भी अपने घर वापस नहीं जा सकती है और उन्हें लगता है कि वह कभी अपने दोस्तों या परिवार को नहीं देख पाएगी.

किसी अज्ञात स्थान से उसने फॉक्स न्यूज को बताया, 'मैं दुनिया को कोरोना की सच्चाई बताने के लिए अमेरिका आई.'

यान ने कहा कि अगर उसने चीन में अपनी कहानी बताने की कोशिश की होती तो उसे गायब कर दिया जाता या मार दिया जाता. इस बीच हांगकांग विश्वविद्यालय ने भी अपने साइट से उनका पेज हटा दिया है और उनके ईमेल और पोर्टल को निष्क्रिय कर दिया है, जबकि यान का कहना है कि वह वार्षिक छुट्टी पर थीं.

विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने फॉक्स न्यूज को दिए एक बयान में बताया कि यान वर्तमान में कर्मचारी नहीं हैं.

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