दोहा : अमेरिका और तालिबान आज कतर की राजधानी दोहा में शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं. इस दस्तखत से अमेरिका की सबसे लंबी लड़ाई के खात्मे की उम्मीद जताई जा रही है. इस समझौते को लेकर माइक पोम्पियो कतर पहुंच चुके हैं. नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (नाटो) के प्रमुख भी अफगानिस्तान पहुंच चुके हैं.
इससे पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शुक्रवार को काबुल पहुंचे और शांतिपूर्ण व स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का निर्बाध समर्थन व्यक्त किया.
अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने से जिससे इस देश में तैनाती के करीब 18 साल बाद अमेरिकी सैनिकों की वापसी का रास्ता साफ होगा.
कतर में भारतीय राजदूत पी कुमारन आज भारत की ओर से दोहा में अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इस समझौते में 30 देशों के राजदूत उपस्थित होने की उम्मीद जताई जा रही है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले दशक में 100,000 से अधिक अफगान नागरिक मारे गए या घायल हुए हैं.
इस समझौते से अफगानिस्तान में नये युग की शुरुआत होने की उम्मीद है. इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर होने से दो दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को यहां कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी से मुलाकात की.
अमेरिका और तालिबान के बीच ऐतिहासिक शांति समझौता होने से एक दिन पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को काबुल की यात्रा की और शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत का खुला समर्थन व्यक्त किया.
उन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी से भेंट की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र सौंपा.
दोहा में जिस समझौते पर हस्ताक्षर की उम्मीद है वह तालिबान और अमेरिका के बीच एक साल से अधिक की वार्ता के बाद होने वाला है. तालिबान ने भी शनिवार को शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने की योजना की पुष्टि की है.
समझौते के तथ्यों के बारे में सार्वजनिक खुलासा नहीं किया गया है लेकिन यह उम्मीद है कि पेंटागन अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू करेगा. अफ्रगानिस्तान में अमेरिका के 12 से 13 हजार सैनिक हैं.