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भारत-चीन के बीच तनाव कम करना चाहता है अमेरिका : रक्षा सचिव

एशिया पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्यूरिटी स्टडीज की 25वीं वर्चुअल साल गिरह समारोह के दौरान अमेरिका के रक्षा सचिव डॉ मार्क टी एस्पर ने कहा कि चीन जानबूझकर कानून तोड़ रहा है. चीन सारे स्थापित नियमों को ताक पे रख कर अन्य देशों के हितों के खिलाफ अपने स्वार्थ को बढ़ाने में लगा है. एस्पर ने कहा यह एक अच्छी बात है कि दोनों पक्ष तनाव दूर करने के लिए बात कर रहे हैं. हम इस बात का समर्थन देते हैं. इस बीच हम भारत के साथ संबंधों को मजबूत बनाना चाहते हैं. भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच अगला संवाद अगले कुछ सप्ताह में होने की संभावना है.

US Defense Secy
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Published : Aug 27, 2020, 10:03 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 11:55 AM IST

हैदराबाद : अमेरिका के रक्षा सचिव डॉ मार्क टी एस्पर ने आज चीन पर प्रहार करते हुए कहा की वह जानबूझकर क़ानून तोड़ रहा है. छोटे देशों पर आर्थिक दबाव डाल रहा है और महामारी के नाम पर अन्य देशों से फायदा उठा रहा है.

डॉ मार्क एस्पर डेनियल के इनोये-एशिया पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्यूरिटी स्टडीज की 25वीं वर्चुअल साल गिरह समारोह होनोलुल, हवाई में वक्तव्य दे रहे थे. रक्षा मंत्रालय के तहत 1995 में स्थापित यह सेंटर भारतीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के एक सौ से ज्यादा देशों के सैनिक और नागरिक सुरक्षा विशेषज्ञों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक रणनीतिक विषय पर संवाद आयोजित करता है.

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‘भारतीय-प्रशांत महासागर क्षेत्र को मुक्त और खुला करने के प्रयास’ पर बोलते हुए एस्पर ने कहा, 'हमारे सहयोगियों के बीच मजबूत नेटवर्क के कारण हमारी स्थिति अन्य प्रतिस्पर्धियों की तुलना में, विशेषकर चीन के सामने ज्यादा बेहतर है. हालांकि चीन सारे स्थापित नियमों को ताक पे रख कर अन्य देशों के हितों के खिलाफ अपने स्वार्थ को बढ़ाने में लगा है.'

2018 में पारित राष्ट्रीय रक्षा रणनीति मार्गदर्शिका के तहत अमेरिका ने नेशनल डिफेन्स यूनिवर्सिटी को अपने पाठ्यक्रम का 50 प्रतिशत ध्यान चीन परे केन्द्रित करने के निर्देश दिए हैं और उसे चीन गणराज्य कैसे दुनिया के लिए खतरा खड़ा कर रहा है इस विषय पर स्कूलों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में विस्तार से बताने को कहा है. डॉ एस्पर ने कहा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में बीजिंग लगातार अपने किए वादों से मुकरता रहा है. सर्वप्रथम तो वह अंतरराष्ट्रीय नियम और कानूनों की अवहेलना करता है, जबकि मुक्त व्यापार और वैश्विक व्यवस्थाओं का वह लगातार फायदा उठाता है.

विश्व समुदाय को होंग कोंग की स्वायत्तता पर किए उसके वायदों को भी उसने भुला दिया और दक्षिण चीन समुद्र में सैन्य जमावट करना भी जारी रखा. उन्होंने आगे कहा, बीजिंग की ये स्वार्थी गतिविधियां भारतीय-प्रशांत महासागर क्षेत्र तक ही सीमित नहीं हैं. दुनिया भर के हमारे हमखयाल देश भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा क़ानून को तोड़ने और कर्ज आधारित आर्थिक गुंडागर्दी के व्यवहार से और उसकी अन्य गन्दी हरकतों से परिचित हैं. जबकि मुक्त व्यवस्था से चीन समेत तमाम छोटे बड़े देशों को लाभ ही मिला है.

ट्रंप प्रशासन के उच्च मंत्री ने चीन की पीपुल लिबरेशन आर्मी पर यह भी आरोप लगाया कि वह देश या उसके संविधान की सेवा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक दल के लिए काम करती है.

'चीनी बुरे व्यवहार' के रूप में चित्रित किया

इसके अलावा, पीपुल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना की विध्वंसक कार्रवाइयां उसके विध्वंसक राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों से परे हैं. अपने दमनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने सदी के मध्य तक एक विश्वस्तरीय सेना बनने के लिए एक आक्रामक आधुनिकीकरण की योजना को जारी रखा है.

रक्षा सचिव ने कहा, यह निस्संदेह दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में पीएलए के उत्तेजक व्यवहार को कहीं और आगे बढ़ाएगा और चीन सरकार ने उसके हितों के लिए इसे महत्वपूर्ण माना है. डॉ एस्पर ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय-प्रशांत महासागर क्षेत्र का विश्व जीडीपी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी है और उसमें दुनिया के 6 में 7 परमाणु शक्ति वाले देश आते हैं और दुनिया की 10 सबसे बड़ी सेनाएं विद्यमान हैं.

'चीन से सत्ता प्रतिस्पर्धा के केंद्र में भारत-प्रशांत महासागर है. इसलिए यहां अमेरिका के सहयोगी देश और अन्य छोटे देशों के नज़दीकी संकलन की जरूरत है.' 21वीं सदी में अमेरिका के लिए सबसे अधिक परिणाम देने वालों में से एक के रूप में भारत के साथ संबंध को बताते हुए, रक्षा सचिव ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण सवाल पर एक सवाल के जवाब में इसे 'चीनी बुरे व्यवहार' के रूप में चित्रित किया. 'मैंने भारत के अपने समकक्ष, रक्षा मंत्री से कई बार बात की है, जिसमें हाल में चीन के साथ इन तनावों के बारे में भी चर्चा की. यह एक और उदाहरण है इस बात का कि विश्व स्तर पर चीन कोरोना वायरस का कैसे लाभ उठाना चाह रहा और वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ वह क्या कर रहा है. चीनी बुरे व्यवहार का यह एक और उदाहरण है जिसकी कोई आवश्यकता नहीं थी. यह एक अच्छी बात है कि दोनों पक्ष तनाव दूर करने के लिए बात कर रहे हैं. हम इस बात का समर्थन देते हैं. इस बीच हम भारत के साथ संबंधों को मजबूत बनाना चाहते हैं. 'भारत और अमेरिका के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच अगला संवाद अगले कुछ सप्ताह में होने की संभावना है.

21वीं सदी के लिए बदल रहे युद्ध की अवधारणा

डॉ. एस्पर ने यूएस एफएमएस (फॉरेन मिलिट्री सेल्स) प्रोग्राम में किए गए सुधारों और बदलावों की ओर इशारा करते हुए भागीदारों और सहयोगियों के सशस्त्र बलों को बढ़ाने और समय पर महत्वपूर्ण हथियार वितरित करने के बारे में कहा. उन्होंने उदाहरण के तौर पर जापान को F35 हेलीकॉप्टरों, भारत को समुद्री हॉक और अपाचे विमानों की आपूर्ति और ताइवान को F16 लड़ाकू विमानों की आपूर्ति का हवाला दिया.

'हम 21वीं सदी के लिए एक नई संयुक्त युद्ध लड़ने की अवधारणा विकसित करके और अन्य पहलों को लागू करने के तरीके बदल रहे हैं, जो हमें हमारे भागीदारों के लिए रणनीतिक रूप से अधिक पूर्वानुमानित करते हैं और हमारी प्रतियोगिताओं के लिए अप्रत्याशित हैं. ये प्रयास भविष्य में होने वाले संघर्षों के लिए हमारी सेना को तैयार करेंगे और हमें उम्मीद है कि हमें लड़ने की जरूरत नहीं होगी. लेकिन फिर भी हमें जीतने के लिए तैयार रहना चाहिए. संयोग से जब विदेश विभाग ने कुछ चीन की राज्य-स्वामित्व वाले उद्यमों और दक्षिण चीन सागर में हनिकाराक मैलिग्न क्रियाकलापों के के लिए कार्यकारी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाया तब.

चीनी विक्रेताओं के साथ व्यापार न करें

डॉ. एस्पर ने यह भी वकालत की कि भागीदार देश 5 जी तकनीक पर चीनी विक्रेताओं के साथ व्यापार न करें. 'अमेरिका और उसके सहयोगियों ने चीन के कार्यों में हेरफेर करने, हमारी तकनीकी बढ़त को बाधित करने के उसके प्रयास के बदले मुख्य रूप से उच्च जोखिम वाले 5 जी विक्रेताओं को जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तक पहुंच से इनकार करने के लिए निर्णायक कार्रवाई की है. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने चीन के उन प्रयासों को विफल करने के लिए कदम उठाए हैं जो हमारी तकनीकी क्षमता को कमजोर करने हेतु से प्रेरित थे. इन में 5 जी विक्रेताओं को रोकना था. जो जापान, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड ने पहले ही कर दिया. मैं अपने हम ख्याल सहयोगियों से से गुजारिश करूंगा कि संचार तकनिकी के क्षेत्र में अपने निर्णय को भली भांती तौल कर लें और चीनी विक्रेताओं से सम्बन्ध रखने के दूर गामी जोखिम को देख लें.'

उन्होंने चीन पर आरोप लगाया कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के दुनिया के प्रयासों में विश्व स्वास्थ्य संगठन से उसके संदिग्घ संबंधों के सहारे रोड़े डाल रहा है.

(स्मिता शर्मा- वरिष्ठ पत्रकार)

Last Updated : Aug 28, 2020, 11:55 AM IST

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