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2006-18 के बीच अरब देशों में पत्रकारों की सबसे ज्यादा हत्या : यूनेस्को

यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट इंटेंसिफाइड अटैक्स, न्यू डिफेंसेस (Intensified Attacks, New Defences) में कहा कि पत्रकारों का हत्या करने वाले 90 प्रतिशत आरोपियों को सजा नहीं मिली. यह बात पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्डमुक्ति समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस से एक दिन पहले कही गई. पढ़ें पूरी खबर...

यूनेस्को लोगो

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Published : Nov 1, 2019, 11:52 PM IST

पेरिस : दुनिया भर में 2006 से 2018 के बीच एक हजार से ज्यादा पत्रकारों की हत्या हो गई. इसको लेकर यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पत्रकारों की हत्या करने वाले 90 प्रतिशत आरोपियों को सजा नहीं मिली है.

रिपोर्ट के मुताबिक अरब देशों में सबसे ज्यादा पत्रकारों की हत्या हुई है, यह दुनिया भर में हुई हत्याओं का 30 प्रतिशत है. इसके बाद आता है लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र (26 प्रतिशत) और तीसरे पायदान पर एशिया और प्रशांत देश हैं (24 प्रतिशत).

यूनेस्को ने पत्रकारों के खिलाफ अपराधों के लिए दण्डमुक्ति समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस (International Day to End Impunity for Crimes against Journalists ) से पहले कहा कि पिछले पांच सालों में पत्रकारों की हत्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह दिवस हर साल दो नवंबर को मनाया जाता है.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले दो सालों में हुई पत्रकारों की हत्याओं में से 55 प्रतिशत गैर-संघर्ष क्षेत्रों में हुई.

यूनेस्को ने आगे कहा, यह प्रवृत्ति पत्रकारों की हत्याओं की बदलती प्रकृति का उदाहरण देती है, जिन्हें अक्सर राजनीति, अपराध और भ्रष्टाचार पर उनकी रिपोर्टिंग के कारण निशाना बनाया जाता है. यूनेस्को ने यह जानकारी भी दी कि 2018 की तुलना में 2019 में अब तक हत्याएं दर्ज की गई हैं.

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यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अजोले (Audrey Azoulay) ने कहा कि उन सभी को जिम्मेदार मानता है जो पत्रकारों को जोखिम में डालते हैं, जो पत्रकारों की हत्या करते हैं और वो सभी लोग जो इस हिंसा को रोकने के लिए कुछ नहीं करते हैं. एक पत्रकार के जीवन का अंत सत्य की खोज का अंत नहीं होना चाहिए.

इसी क्रम में यूनेस्को ने एक सोशल मीडिया अभियान 'कीप ट्रूथ अलाइव' (keeptruthalive.co) की भी घोषणा की. यह अभियान से घर के पास पत्रकारों के सामने आने वाले खतरों की ओर ध्यान आकर्षित करता है. यहां पर आपको बता दें 93 प्रतिशत पत्रकार जो मारे जाते हैं वह स्थानीय पत्रकार होते हैं.

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