जकार्ता: इंडोनेशिया में राष्ट्रपति और संसद का चुनाव समाप्त हो गया. कुछ घंटों बाद प्राथमिक तौर पर परिणाम आने की संभावना है. अंतिम परिणाम आने में समय लगेगा. दो प्रमुख उम्मीदवारों वर्तमान राष्ट्रपति जोको विडोडो और पूर्व जनरल प्रबोवो सुबियांतो के बीच मुकाबला है. शुरुआती रुझानों में जोको आगे चल रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विडोडो का पलड़ा भारी है. वैसे, दोनों ही नेता संकीर्ण इस्लामिक लहर से प्रभावित हैं. इस मुद्दे पर दोनों के बीच रेस जैसी स्थिति है. दोनों ने चुनाव जीतने पर आर्थिक मदद का भरोसा दिया है.
लगभग 20 हजार प्रतिनिधियों (स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर) का चयन होना है. यह चुनाव ऐतिहासिक है. इसकी वजह ये है कि एक ही दिन में मतदाताओं ने राष्ट्रपति, संसद और स्थानीय चुनावों में हिस्सा लिया. 19.2 करोड़ मतदाता हैं.
कुल 2.45 लाख उम्मीदवारों ने इस चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई है.
चुनाव के मुख्य मुद्दे- चीनी निवेश, भ्रष्टाचार और अर्थव्यवस्था. दूसरे धर्म के लोगों के प्रति नीति भी एक मुद्दा है. मुस्लिम आबादी बहुमत में होने के बावजूद इंडोनेशिया ने इस्लाम को राज्य का धर्म घोषित नहीं किया है. हालांकि, हाल के दिनों में यहां भी कट्टर इस्लामिक शक्तियां मजबूत हुई हैं.
चीन के निवेश को लेकर कमोबेश दोनों ही पार्टियों का रूख समान है. चीन इंडोनेशिया का सबसे बड़ा निवेशकर्ता है. इंडोनेशिया ने चीन के महत्वाकांक्षी बीआरआई का भी समर्थन किया है.
जोको को लेकर मुख्य विवाद चीन के प्रति उनकी नरमी है. चीन ने इंडोनेशिया के इन्फ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश किया है. लेकिन उतना विकास नहीं हुआ. इसके बदले इंडोनेशिया काफी कर्ज में भी आ गया है. इंडोनेशिया की कई सरकारी कंपनियां इसके चपेटे में आ गई हैं.