इस्लामाबाद : लाहौर उच्च न्यायालय में शुक्रवार को एक शीर्ष वकील ने कहा कि पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ पर मुकदमा चलाने के लिए विशेष अदालत का गठन अवैध है.
दरअसल, अदालत उस पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें देशद्रोह के लिए मुशर्रफ को मृत्युदंड की सजा सुनाने वाले विशेष न्यायाधिकरण के गठन का विरोध किया गया है.
तीन न्यायाधीशों की विशेष अदालत ने 17 दिसंबर को 2-1 के बहुमत से पाया था कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति 76 वर्षीय मुशर्रफ संविधान को रद करने और नवंबर 2007 में संविधानेत्तर आपातकाल लगाने के दोषी हैं.
अदालत ने उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. मुशर्रफ फिलहाल दुबई में रह रहे हैं. इसके बाद मामले में लाहौर उच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर कर उन्हें सुनाई गई सजा को चुनौती दी गई थी.
याचिका में न सिर्फ सजा को चुनौती दी गई थी बल्कि उन्हें देशद्रोह के लिए सजा सुनाने वाली विशेष अदालत के गठन को भी चुनौती दी गई थी.
इसके साथ ही मुशर्रफ ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार द्वारा उनके खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत को भी चुनौती दी थी. शरीफ सरकार द्वारा दर्ज कराए गए मामले की वजह से यह मुकदमा चला था.
इससे एक दिन पूर्व लाहौर उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा था कि वह मुशर्रफ को दिए गए मृत्युदंड के खिलाफ याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती, लेकिन देशद्रोह के मामले में विशेष अदालत के गठन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर सकती है.
इस मामले में अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल इश्तियाक खान और मुशर्रफ के वकील गुरुवार को अदालत में पेश हुए थे. गुरुवार को खान की दलील सुनने के बाद अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता अली जफर को आज अदालत के समक्ष कानूनी विशेषज्ञ को तौर पर अपनी राय पेश करने को बुलाया था.
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जियो न्यूज के मुताबिक जफर ने अदालत को बताया, 'पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ दायर याचिका सही प्राधिकार के जरिए दायर नहीं की गई, मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत का गठन भी गैरकानूनी है और यहां तक कि पूर्व शासक के खिलाफ जो मामला बनाया गया है, वह भी कानून के अनुरूप नहीं है.'