इस्लामाबादः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने की किसी भी संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज किया है. यह जानकारी मीडिया की खबर से मिली है.
खान ने एक निजी समाचार चैनल 'दुनिया टीवी' के साथ एक साक्षात्कार में कहा, 'इजराइल को लेकर हमारी नीति स्पष्ट है. कायदे आजम (मुहम्मद अली जिन्ना) ने कहा था कि पाकिस्तान तब तक कभी भी इजराइल को स्वीकार नहीं कर सकता जब तक फलस्तीन के लोगों को अधिकार और एक स्वतंत्र देश नहीं मिल जाता.
पाकिस्तान और इजराइल के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं और उनके विमानों को एक-दूसरे के हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति नहीं है. इमरान ने कहा, अगर हम इजराइल को मान्यता देते हैं और फलस्तीनियों द्वारा सामना किए गए अत्याचार को अनदेखा करते हैं तो हमें कश्मीर को भी छोड़ देना होगा और यह हम नहीं कर सकते हैं.
खान की यह टिप्पणी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और इजराइल के बीच हाल ही में हुई शांति पहल की पृष्ठभूमि में आयी है. यूएई इजराइल के साथ शांति समझौता करने वाला तीसरा अरब देश बन गया है.
पाकिस्तान में यह भी सवाल पूछे जा रहे हैं कि जब अरब लोग बदलते क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरण में इजराइल को स्वीकार कर रहे हैं तो तो पाकिस्तान इजराइल के प्रति एक विरोधी नीति क्यों अपना रहा है.
जब खान से यूएई के इजराइल के साथ संबंधों पर टिप्पणी करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने कहा कि हर देश की अपनी विदेश नीति है. उन्होंने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि कश्मीर मुद्दे को लेकर पाकिस्तान के सऊदी अरब के साथ संबंधों में तनाव है. उन्होंने कहा, 'सऊदी अरब हमारे प्रमुख मित्रों में से एक है और हमारे संबंध अभी भी भाईचारे वाले हैं और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है.
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खान ने चीन के साथ पाकिस्तान के संबंधों की प्रशंसा की और कहा कि देश का भविष्य चीन से जुड़ा हुआ है जो हर मुश्किल समय में पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि आने वाली सर्दियों में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग पाकिस्तान की यात्रा करेंगे.
खान ने कई घरेलू मुद्दों के बारे में भी बात की, जिसमें सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी से सफलतापूर्वक निपटना शामिल था. उन्होंने कहा, 'शुरू में मेरी पार्टी के नेता भी मेरी रणनीति के खिलाफ थे और सवाल कर रहे थे कि देश में सख्त लॉकडाउन क्यों नहीं लगाया जा रहा है.' उन्होंने कहा, 'हमारी स्मार्ट लॉकडाउन रणनीति ने काम किया' और उससे वायरस का प्रसार रोकने में मदद मिली.
खान का साक्षात्कार ऐसे समय हुआ जब उनकी सरकार के दो साल पूरे हुए हैं. उनकी नीतियों को लेकर विपक्षी दलों द्वारा बार-बार हमला बोला गया है.