नेपीता : म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू ची के सियासी दल ने म्यांमार के लोगों से सोमवार के 'तख्तापलट' और 'सैन्य तानाशाही' कायम करने के प्रयासों का विरोध करने का आह्वान किया.
नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने पार्टी प्रमुख सू ची के फेसबुक पेज पर एक बयान जारी कर कहा है कि सेना के कदम अन्यायपूर्ण हैं और मतदाताओं की इच्छा एवं संविधान के विपरीत हैं.
यह पुष्टि करना अभी संभव नहीं है कि फेसबुक पेज पर यह संदेश किसने डाला है, क्योंकि पार्टी के सदस्य फोन कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं. म्यांमार में सेना के टेलीविजन चैनल पर सोमवार को कहा गया कि सेना एक वर्ष के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले रही है. कई अन्य खबरों में कहा गया है कि सू ची समेत देश के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार सेना के स्वामित्व वाले टेलीविजन चैनल 'मयावाडी टीवी' पर सोमवार सुबह घोषणा की गई कि सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है. इसके साथ ही सेना द्वारा तैयार संविधान के उस हिस्से का हवाला दिया गया जो राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में देश का नियंत्रण सेना को अपने हाथों लेने की इजाजत देता है.
उसने कहा कि तख्तापलट की वजह पिछले वर्ष नवंबर में हुए चुनावों में मतों में धोखाधड़ी के सेना के दावों पर कोई कदम उठाने में तथा कोरोना वायरस संकट के बावजूद चुनाव स्थगित करने में सरकार की विफलता है.
सैन्य तख्तापलट की आशंका कई दिनों से बनी हुई थी. सेना ने अनेक बार इन आशंकाओं को खारिज किया था, लेकिन देश की नई संसद का सत्र सोमवार को आरंभ होने से पहले ही उसने यह कदम उठा लिया.
म्यांमार 1962 से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग था तथा यहां पांच दशक तक सैन्य शासन रहा. हाल के वर्षों में लोकतंत्र कायम करने की दिशा में आंशिक, लेकिन अहम प्रगति हुई थी लेकिन आज हुए तख्तापलट से इस प्रक्रिया को खासा झटका लगा है. सू ची के लिए तो यह और भी बड़ा झटका है, जिन्होंने लोकतंत्र की मांग को लेकर वर्षों तक संघर्ष किया, वर्षों तक वह नजरबंद रहीं और अपने प्रयासों के लिए उन्हें नोबल शांति पुरस्कार भी मिला.
सेना के कदमों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना हो रही है.
अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकेन ने कहा कि स्टेट काउंसलर सू ची एवं अन्य अधिकारियों समेत सरकार के नेताओं को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने की घटना से अमेरिका बेहद चिंतित है.
ब्लिंकेन ने एक बयान में कहा, 'हमने बर्मा की सेना से सभी सरकारी अधिकारियों और नेताओं को रिहा करने का आह्वान किया है और आठ नवंबर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हुए चुनावों में बर्मा की जनता के फैसले का सम्मान करने को कहा है. अमेरिका लोकतंत्र, स्वतंत्रता, शांति एवं विकास के आकांक्षी बर्मा के लोगों के साथ है. सेना को निश्चित रूप से इन कदमों को तुरंत पलटना चाहिए.'