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हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम विस्फोट के दौरान बचे लोगों के अनुभव

हिरोशिमा पर जब 1945 में परमाणु बम गिराया गया था, तो हजारों लोगों की जान गई थी. हजारों लोग घायल हुए थे. जो जीवित बच गए, उन्होंने अपने अनुभव साझा किए. उन लोगों ने बताया कि यह सबसे विषादपूर्ण, क्रूर और सबसे घृणित घटना थी. वह एक ऐसी डरावनी घटना थी, जिसका जिक्र करने से रूह तक कांप जाती है.

हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम विस्फोट
हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम विस्फोट

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Published : Aug 6, 2020, 9:00 AM IST

Updated : Aug 6, 2020, 11:24 AM IST

हैदराबादः जापान के शहर हिरोशिमा पर जब 1945 में परमाणु बम गिराया गया था तो हजारों लोगों की जान गई थी. हजारों लोग घायल हुए थे. उस भयावह घटना के प्रत्यक्षदर्शी रहे लोगों में से बहुत सारे लोग अभी जीवित हैं. उनमें से कुल लोगों ने अपने अनुभव साझा किए.

हिरोशिमा पर परमाणु बम के हमले में वे पेड़ जो बचे रह गए

जीवित बचे कई लोगों का मानना था कि शहर में दशकों तक शहर में कुछ भी नहीं बढ़ेगा, जबकि 170 पेड़ बच गए और और वे 75 साल बाद भी बढ़ रहे हैं. ग्रीन लिगेसी हिरोशिमा (हरित विरासत हिरोशिमा) नाम की एक परियोजना है, जो दुनिया भर से ऐसे पेड़ों के पौधे भेजती है, जिससे उम्मीद की किरण फैल रही है. तोमोको वाटनबे इस परियोजना के सह-संस्थापक हैं. उन्होंने 'विटनेस हिस्ट्री' से बात की है.

1. चितोशी होंडा

होंडा की उम्र बमबारी के समय 14 साल थी. वे बहुत पहले की एक खास गर्मी की कड़वी और भयानक यादें साझा करते हैं. मुझे लगता है कि वह यामामोटो थीं जिन्होंने इन शब्दों को कहा, 'मेरी मदद करो .. कोई मेरी मदद करो' उनकी आवाज़ शक्तिहीन और कमजोर लग रही थी. आज भी यह मेरे कानों में आती है. यह घटना 50 साल पहले 9 अगस्त, 1945 की थी. कहते हैं कि यह सबसे विषादपूर्ण, क्रूर और सबसे घृणित घटना थी या कभी होगी जिसे मैंने कभी जिया है. यह कुछ ऐसी घटना थी कि चाहे मैं कितनी भी कोशिश कर लूं, जिसे मैं भूल नहीं सकता.


नौ अगस्त गर्मी के मौसम के बीच का एक गरम दिन था, लेकिन मुझे याद आ रहा है कि आकाश में काफी बादल भी थे. यह एक ऐसा दिन था जब तड़के से ही बहुत उमस के साथ गर्मी ज्यादा महसूस होने लगी थी. जब से अगस्त शुरू हुआ था तभी से हर दिन गर्म और उमस भरा था. मुझे अभी भी पूरी तरह से याद है कि वे हमारे घर की छत से कैसे शोर करते हुए गुजरे थे और ये दुर्घटना घटी थी, यह सही है कि हमारे पास इससे हुए नुकसान को ठीक करने के लिए समय नहीं था.

9 अगस्त की उस भयावह सुबह को हवाई हमले की चेतावनी वाले आवाज को अपेक्षाकृत कम समय के बाद हटा दिया गया था (संकेत यह था कि चिंता की कोई बात नहीं थी). मुझे नहीं पता कि ऐसा किस वजह से हुआ था. उस समय भयावह परमाणु बम ले जाने वाला B29 बमवर्षक विमान नागासाकी के हवाई क्षेत्र में आ रहा था.


अब मैं आपको बताना चाहूंगा कि मेरे परिवार और मेरे घर पर उस दिन क्या हुआ था. प्रकाश चमका और भयंकर विस्फोट के बाद हमारे घर का अंदरूनी साज-सज्जा पूरी तरह से काला पड़ गया. जैसे सब कुछ ढह गया. मैंने अपनी आंखें बंद करके सोचा, ' मैं इसी तरह मरने जा रहा हूं'. अचानक अंधेरे में कहीं से मैंने अपने पिता को बोलते सुना-तुम लोग जहां हो वहीं रहो. मेरे छोटे भाई- बहन ने भी टहलना बंद कर दिया. मैंने उनसे कहा-ये ठीक है. जहां आप हैं, थोड़ी देर के लिए वहीं रुके रहें. मैं खुद भी दहशत से भर गया. मैं अचंभित था कि आगे क्या होने वाला है. यह सब कुछ बहुत थोड़े समय में हुआ लेकिन डर और चिंता लंबे समय तक बनी रही.


हम जैसे अब कर रहे हैं ठीक वैसे ही उस दृश्य को कैसे देखा जाए इसकी कल्पना करना भी असंभव है. पराकाष्ठा वाली परिस्थितियों के लिए हमलोग स्वर्ग या नर्क जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, यह सच में नर्क था.

2. तोशियो मियाची - आप भाग्यशाली हैं
मैं 1917 में मित्सुगी काउंटी (जो अब इनोशिमा-नकोनो-चो, ओनोमिची सिटी है) के नाकोनो गांव में पैदा हुआ था. मुझे 1945 के अप्रैल में दूसरी बार सेना का पत्र मिला, इस बार मैंने अपनी पत्नी और बच्चे को इनोशिमा भेज दिया. मुझे फिर से फील्ड आर्टिलरी, 5 वीं रेजिमेंट को सौंप दिया गया, लेकिन इस बार मैंने रेजिमेंट के मुख्यालय के लिए एक सैन्य रजिस्टर कीपर के रूप में काम किया.

बम गिरने के बाद शहर में ऐसी थी स्थिति
हिरोशिमा सिटी में प्रवेश करने के बाद ट्राम रोड के साथ चलता गया. ऐसा लगा कि शहर को पहले ही खाली कर दिया गया था. शहर सुनसान दिख रहा था. हमने कोई कुत्ता या बिल्ली भी नहीं देखा. करीब एक घंटा बीत गया होगा तब भी एआईओई पुल पर मैं 50 सेमी आगे या पीछे ही हो रहा था. अचानक भारी बारिश होने लगी. यह काली बारिश थी जो मेरी त्वचा में सुइयों की तरह चिपकी. यह तेल की तरह पूरे क्षेत्र में फैल कर उसे गीली कर गई थी.


इसके बावजूद जब अपने गीले चेहरे को मैंने अपने हाथों से पोंछा तो मुझे तेल जैसा बिल्कुल महसूस नहीं हुआ. जले हुए मैदान पर बारिश से बचने का कोई आश्रय नहीं था. इस वजह से मेरा शरीर भींग गया और मैं बारिश रुकने का इंतजार करने लगा. बारिश रुक जाने के बाद अचानक तापमान बदला और जाड़े की तरह ठंडा हो गया. गर्म सड़क भी चलने के लिए काफी ठंडी हो गई. जब मैं अपनी यूनिट में पहुंचा तो बैरक दयनीय हालत में थे. लग रहा था जैसे वहां कुछ भी नहीं था, सभी इमारतों में तोड़-फोड़ की गई थी सभी जलकर राख हो गईं थी और बारिश के साथ बह गई थीं.

सार्जेंट ओकाडा मौत की कगार पर थे. उनका शरीर जला हुआ था लेकिन अभी भी सांस ले रहे थे. जले होने की वजह से उनका पूरा हुलिया बदल गया था. जब तक उन्होंने बात नहीं की, मैं उन्हें पहचान नहीं पाया था. उन्होंने कहा-मियाची, भाग्यशाली तुम. मैंने कुछ देर के लिए उन्हें छोड़ दिया लेकिन जब मैं शाम को वहां लौटा तो मुझे सार्जेंट ओकाडा नहीं मिले. निश्चित रूप से उन्हें कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया था.

3. मौत से बाल-बाल बचे- जीरो शिमसाकी
हमलोगों ने अपने चाचा को उजीना स्थित एक शरण स्थली में पाया. मुझे याद है कि यह बंदरगाह के पास एक गोदाम था. मैंने देखा कि वहां सैनिकों ने इससे जुड़े एक गलियारे में शवों को लाइन लगा रहे थे और कह रहे थे- ओह, यह आदमी तो अभी-अभी मरा. सैनिकों में से एक ने मुझसे कहा- उसके शरीर को गलियारे में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए. क्या तुम सिर पकड़ोगे ? मैं भी उसकी मदद करने से डरने लगा था. जिन लोगों की मौत हो गई थी उन्हें कुछ लोगों की टीम ने गलियारे में स्थानांतरित कर दिया था. यहां तक कि करीब 20 साल की एक लड़की को नग्न हालत में ही जमीन पर लिटाया जा रहा था, क्योंकि वह जलकर काली पड़ चुकी थी.


हम अपने चाचा को हालांकि उजीना से साजो वापस ले आए लेकिन घर लौटने के तीन दिन बाद और बमबारी के 10 वें दिन उनकी मौत हो गई. हमारे घर के पास ही एक कब्रगाह में उनका अंतिम संस्कार किया गया. मैं मदद करने के लिए वहां गया था. मेरी चाची की दो साल पहले ही मृत्यु हो गई थी. चाची ने एक बार मुझे बताया था कि उनकी और मेरे चाचा की शादी को केवल 9 साल हुए थे.

4.गर यह जंग कभी नहीं हुई होती

साकुई शिमोहिरा ( शिमोहिरा बमबारी के समय 10 वर्ष की थीं)

मम्मी-मम्मी, मेरी मदद करो- इस आवाज ने मुझे अपनी मां की याद दिला दी और मैं खुद को मां- मां चिल्लाकर रोने से रोक नहीं पाई. बहुत अधिक समय बीत गया, लेकिन मेरे घर से कोई नहीं आया. धरती पर आश्रय स्थल के बाहर क्या हुआ था ? अकेली बच्ची होने के बावजूद मैं समझ सकती थी कि यह कुछ भयानक था. दस साल पहले अपने परमाणु बम गिरने के समय के अनुभवों के बारे में बोलना शुरू की थी. हो सकता है कि मैं अपने पिता के कार्यों से प्रभावित हूं. वे परमाणु बम पीड़ित संघ के अध्यक्ष थे.


यह उस परमाणु बम से मारे गए लोगों के प्रति मेरा कर्तव्य बोध था, जिसके कारण मैंने उस दुखद और निंदनीय हमले के बारे में बात करना शुरू कर दिया, जिसे मैं याद नहीं करना चाहती थी.

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ऐसा होना बंद हो इसके लिए हमें बोलने इन प्रयासों को हर हाल में अनुमति देनी चाहिए, क्योंकि अभी भी बहुत सारे लोग हैं जो परमाणु बम विस्फोटों में क्या हुआ था उसके सही तथ्यों को नहीं जानते हैं. दस लोगों के एक-एक शब्द बोलने पर का प्रभाव एक व्यक्ति के दस शब्दों के बोलने से कहीं अधिक पड़ता है, भले उतना ही बोला गया हो. हम शांति बनाए रखने के लिए एक साथ काम करें. हमें यह हर हाल में सुनिश्चित करना चाहिए कि इन त्रासदियों को समय के साथ भुलाया नहीं जाए और यह भी याद रहे कि 21 वीं सदी हरी- भरी धरती पर शांति का युग है.

Last Updated : Aug 6, 2020, 11:24 AM IST

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