कोलंबो : श्रीलंका को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा. जिसे राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है. वह इस प्रस्ताव का ऐसे समय में सामना कर रहे हैं जब ऐसे आरोप लग रहे हैं कि 2009 में लिट्टे के साथ सशस्त्र संघर्ष समाप्त होने के बाद पीड़ितों को न्याय दिलाने और सुलह को आगे बढ़ाना सुनिश्चित करने में उनकी सरकार द्वारा किए गए प्रयास 'विफल' रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र इकाई में लगातार तीन बार श्रीलंका को प्रस्ताव पर हार का सामना करना पड़ा है, उस दौरान गोटाबाया के बड़े भाई और मौजूदा प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे 2012 और 2014 के बीच देश के राष्ट्रपति थे. अधिकारियों ने बताया कि मसौद प्रस्ताव श्रीलंका में मानवाधिकार और सुलह जवाबदेही प्रोत्साहन सोमवार के सत्र में सूचीबद्ध है.